मंगलवार, 15 जुलाई 2014

"नाबालिग दरिंदों को भी मिलनी चाहिए कड़ी सजा"



नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़े जुवेलाइल जस्टिस एक्ट की वकालत की है। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी नौकरियों की तरह क्राइम के लिए कट ऑफ डेट नहीं हो सकती। अंडर एज आॉफेंसेज के तहत मिलने वाली इम्यूनिटी पर सवाल खड़े करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कानून का परीक्षण कर उसमें आवश्यक बदलाव करने को कहा है।
Minor rapists should also get tough punishments : SC


महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि जो नाबालिग रेप जैसे जघन्य अपराध करते हैं उनके साथ वयस्क के समान बर्ताव होना चाहिए। पुलिस के मुताबिक 50 फीसदी यौन अपराध 16 साल के किशोर करते हैं। उन्हें जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के बारे में पता है इसलिए ऎसा कर सकते हैं। मेनका गांधी ने कहा था कि वे कानून में बदलाव लाएगी और प्रक्रिया की खुद निगरानी करेगी।




दिल्ली गैंगरेप के बाद क्रिमिनल जस्टिस एक्ट में संशोधन के लिए 2012 में जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उम्र की अन्तिम सीमा(18 वर्ष) को बरकरार रखना चाहिए क्योंकि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का मकसद बाल अपचारी में सुधार लाना है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने भी प्रस्ताव दिया था कि जघन्य अपराधों के दोषी नाबालिग जिनकी उम्र 16 साल से ज्यादा हो,उनके साथ वयस्क अपराधियों के समान बर्ताव होना चाहिए।



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