रविवार, 29 जून 2014

राजस्थान का गौरव है चित्तौड़गढ़ का दुर्ग



चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान का सबसे बड़ा किला है। किला चित्तौड़गढ़ के शानदार इतिहास को बताता है। किला इस शहर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। किला जमीन से लगभग 500 फुट ऊंचाई वाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। किले तक पहुंचने का रास्ता आसान नहीं है। इस किले में पहुंचने के लिए एक खड़े और घुमावदार मार्ग से होकर जाना होता है। इस किले में सात दरवाजे हैं जिनके नाम हिंदू देवताओं के नाम पर पड़े हैं। प्रथम प्रवेश द्वार पैदल पोल के नाम से जाना जाता है, जिसके बाद भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोली पोल, लक्ष्मण पोल और अंत में राम पोल है जो सन 1459 में बनवाया गया था। किले की पूर्वी दिशा में स्थित प्रवेश द्वार को सूरज पोल कहा जाता है। इस किले में कई सुंदर मंदिरों के साथ-साथ रानी पद्मिनी और महाराणा कुम्भ के शानदार महल हैं। किले में कई जल निकाय हैं जिन्हें वर्षा या प्राकृतिक जलग्रहों से पानी मिलता रहता है। दुर्ग अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है।


इतिहास

चित्तौड़गढ़ किला राजपूत शौर्य के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान रखता है। यह किला 7वीं से 16वीं शताब्दी तक सत्ता का एक महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था। लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह किला 500 फुट ऊंची पहाड़ी पर खड़ा है। यह माना जाता है कि 7वीं शताब्दी में मोरी राजवंश के चित्रांगद मोरी द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था।

आक्रमण

किले के लंबे इतिहास के दौरान इस पर तीन बार आक्रमण किए गए। पहला आक्रमण सन 1303 में अलाउद्दीन खलिजी द्वारा, दूसरा सन 1535 में गुजरात के बहादुरशाह द्वारा तथा तीसरा सन 1567-68 में मुगल बादशाह अकबर द्वारा किया गया था। इसकी प्रसिद्ध स्मारकीय विरासत की विशेषता इसके विशिष्ट मजबूत किले, प्रवेश द्वार, बुर्ज, महल, मंदिर, दुर्ग तथा जलाशय स्वयं बताते हैं जो राजपूत वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं।

प्रवेश द्वार

इस किले के सात प्रवेश द्वार हैं। सूरज पोल, भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोली पोल, लक्ष्मण पोल और राम पोल।

कब जाएं

अक्टूबर से मार्च

मार्ग स्थिति

चित्तौड़गढ़ का किला चित्तौड़गढ़ बूंदी रोड से लगभग 4 से 5 किमी की दूरी पर स्थित है।

बोली जानी वाली भाषा

हिंदी, राजस्थानी, अंग्रेजी

कैसे पहुंचें

हवाई जहाज, रेल, बस आदि से पहुंचा जा सकता है।

क्या देखें

जैन कीर्तिस्तंभ, महावीरस्वामी का मंदिर, पद्मिनी का महल, कालिका माई का मंदिर

कहां ठहरे

यहां ठहरने के लिए कई होटल और धर्मशाला है।

क्या खाएं

दाल-बाटी, चूरमा आदि राजस्थानी भोजन।

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