रविवार, 29 जून 2014

आखिर क्यों आते हैं हर साल रमजान, क्या है रोजे का मतलब?

इस्लाम धर्म में अच्छा इंसान बनने के लिए पहले मुसलमान बनना आवश्यक है और मुसलमान बनने के लिए बुनियादी पांच कर्तव्यों का अमल में लाना आवश्यक है। पहला ईमान, दूसरा नमाज़, तीसरा रोज़ा, चौथा हज और पांचवा ज़कात।meaning of roza ramzaan

इस्लाम के ये पांचों कर्तव्य इंसान से प्रेम, सहानुभूति, सहायता तथा हमदर्दी की प्रेरणा देते हैं। रोज़े को अरबी में सोम कहते हैं, जिसका मतलब है रुकना। रोज़ा यानी तमाम बुराइयों से परहेज़ करना। रोज़े में दिन भर भूखा व प्यासा ही रहा जाता है। इसी तरह यदि किसी जगह लोग किसी की बुराई कर रहे हैं तो रोज़ेदार के लिए ऐसे स्थान पर खड़ा होना मना है।

जब मुसलमान रोज़ा रखता है, उसके हृदय में भूखे व्यक्ति के लिए हमदर्दी पैदा होती है।रमज़ान में पुण्य के कामों का सबाव सत्तर गुना बढ़ा दिया जाता है। ज़कात इसी महीने में अदा की जाती है।

रोजा झूठ, हिंसा, बुराई, रिश्वत तथा अन्य तमाम गलत कामों से बचने की प्रेरणा देता है। इसका अभ्यास यानी� पूरे एक महीना कराया जाता है ताकि इंसान पूरे साल तमाम बुराइयों से बचे।

कुरआन में अल्लाह ने फरमाया कि रोज़ा तुम्हारे ऊपर इसलिए फर्ज़ किया है, ताकि तुम खुदा से डरने वाले बनो और खुदा से डरने का मतलब यह है कि इंसान अपने अंदर विनम्रता तथा कोमलता पैदा करे?

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