रविवार, 6 अप्रैल 2014

बाड़मेर ही नहीं पाली में भी जसवंत बिगाड़ेंगे भाजपा का खेल



बाड़मेर। राजस्थान की बाड़मेर-जैसलमेर सीट नाक की लड़ाई में तब्दील होने लगी है। ऐसा होता है तो जसवंत फैक्टर बाड़मेर ही नहीं जोधपुर और पाली में भी समीकरण बदल सकता है। अगर राजपूत वोटों को मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन का रुख मतदान के दिन तक बना रहा तो तीनों सीटों पर इसका असर दिख सकता है। भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय के तौर पर बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे जसवंत सिंह ने इस चुनाव को राजपूतों की नाक की लड़ाई में तब्दील कर दिया है। कांग्रेस से भाजपा में आए पार्टी प्रत्याशी कर्नल सोनाराम और कांग्रेस के हरीश चौधरी दोनों जाट नेता हैं। हालांकि, बाड़मेर जैसलमेर जाट बहुल सीट है, लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता भी पर्याप्त संख्या में हैं। जसवंत को भाजपा से टिकट नहीं मिलने से क्षेत्र के राजपूतों में तो नाराजगी है ही अगर इन्हें मुस्लिम मतदाताओं का साथ मिलता है तो इस सीट पर तस्वीर बदल भी सकती है।

लद्दाख के बाद पाकिस्तान सीमा से लगी देश की इस दूसरी सबसे बड़ी लोकसभा सीट के मुसलमानों पर सीमा पार के सूफी-संतों का खासा असर है। मुस्लिम परंपरागत रूप से सीमा पार से जिस प्रत्याशी को समर्थन का एलान होता है उसे ही वोट करते आए हैं। पिछले दिनों ही सीमा पार से जसवंत के समर्थन का एलान किया गया था। उसके बाद से ही मुस्लिम मतदाताओं के रुख में बदलाव के संकेत दिख रहे हैं। इस सीट पर तीन लाख से ज्यादा जाट मतदाता हैं। राजपूतों की संख्या ढाई लाख के आसपास है। इनके अलावा करीब डेढ़ लाख मुस्लिम मतदाता हैं। कांग्रेस प्रत्याशी हरीश चौधरी के एक बेहद करीबी का मानना है कि अभी तक के रुख से यही लग रहा है कि राजपूत व मुस्लिम समीकरण इस सीट के भविष्य को तय करने में काफी प्रभावी साबित होगा। कांग्रेस से भाजपा में आए कर्नल सोनाराम को राजपूत और मुस्लिम वोटों के अलावा दूसरी जातियों का विरोध भी झेलना पड़ रहा है। खासतौर पर वैश्य समुदाय के जैन मतदाता कर्नल के विरोध में जा सकते हैं। इसकी वजह मौजूदा कांग्रेस विधायक मेवालाल जैन और कर्नल का आपसी विरोध बताया जा रहा है।

अगर ये समीकरण बनते हैं और क्षेत्र के राजपूत जसवंत को टिकट नहीं मिलने को नाक की लड़ाई बनाते हैं तो इसका असर जोधपुर और पाली पर भी दिख सकता है। जोधपुर का राजघराना भी जसवंत सिंह के समर्थन में है। हालांकि, ऐसा होने में मोदी फैक्टर कितना प्रभावी होता है यह देखने की बात है। पाली संसदीय क्षेत्र के सेंदड़ा में चाय की दुकान पर चुस्कियां लेते थान सिंह मानते हैं कि जसवंत के साथ नाइंसाफी हुई है, लेकिन वो ये भी मानते हैं कि देश को इस वक्त मोदी की जरूरत है। इसी तरह टैक्सी ड्राइवर ओम सिंह भी मानते हैं कि राजपूत दिल से जसवंत के साथ है, लेकिन पीएम के तौर पर मोदी को लाना भी जरूरी है। अब देखना होगा कि बाड़मेर का ऊंट किस करवट बैठता है?

1 टिप्पणी:

  1. बाङमेर व जैसलमेर के मतदाताओँ आपसे निवेदन है कि वोट मोदी अर्थात BJP के लिए ही करेँ क्योँकि अगर हम वोट नहीँ देँगे तो मोदी कैसे PM बनेँगे इसलिए 5 वर्ष मेँ एक बार आने वाले अवसर को जात पात के भेदभाव या किसी के बहकावे मेँ आकर मत गँवाना, वोट BJP को ही देना वैसे ही पाकिस्तान से फतवे जारी होना हमारी बाङमेर व जैसलमेर की जनता का कैसा अपमान हो रहा ...सुरेन्द्रसिँह राठौङ (शिव)

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