बुधवार, 29 जनवरी 2014

खड़ताल का नन्हा जादूगर फिरोजखां

बाड़मेर। मात्र दस साल की उम्र और खड़ताल बजाने की ऎसी कला की हर कोई अचरज में पड़ जाए। यह नन्हा कलाकार फिरोजखां जो शिव तहसील के झांपली गांव का है। फिरोजखां दस साल की आयु में भी उस बुलंदी को छू चुका है जिसे कई कलाकार छूने की तमन्ना रखते है।

परम्परागत मांगणियार गायकी का यह नन्हा कलाकार गणतंत्र दिवस पर सम्मानित हुआ। पिता गफूरखां के साथ नियमित अभ्यास करता है। अब तक देश के कई कोनों में खड़ताल की जादूगरी से लोगों की दाद बटोर चुका है। गफूरखां ने बतया कि मां की गोद से ही उसे खड़ताल बजाने का शौक लगा। पाटी पर अ, आ लिखने से पहले उसने खड़ताल हाथ में थाम ली। आरएएस अधिकारी डा. नखतदान बारहठ और एबीईईओ अमरदान चारण के अनुसार एक बार जो फिरोज की खड़ताल को ुसुन लेता है वह इसका दीवाना हो जाता है।

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