गुरुवार, 30 जनवरी 2014

दुल्हन के दीदार नहीं तो दूल्हे को हर्जाना

जयपुर। एक दूल्हे को शादी के बाद भी अपनी दुल्हन के नजर भर दीदार नहीं हो सके तो उसने वो कदम उठाया कि शादी के करीब 2 साल बाद से इसका हर्जाना मिलने जा रहा है।
दरअसल, दूल्हे ने शादी के लिए एक चश्मा खरीदा था, जिसने ऎन वक्त पर धोखा दे दिया और वे शादी की न कोई रश्म ढंग से देख पाया और न ही अपनी दुल्हन के दीदार। ये वाकैया राजस्थान की राजधानी जयपुर का है और दूल्हा पेशे से वकील है, नाम है आशीष जेठवानी।

पहली ही रश्म में टूटा चश्मा

सज-संवरकर दूल्हे ने अपने संगीत समारोह में चश्मा पहना तो स्कू्र ढीला होने पर चश्मा नीचे आ गिरा। अपना ही कार्यक्रम ठीक से न दे सका। ऎनक टूटने के दूल्हे के दर्द को जिला उपभोक्ता मंच-द्वितीय ने राहत दी है। मंच ने चश्मा विक्रेता को चश्मे की 900 रूपए की कीमत सहित 4300 रूपए का हर्जाना देने के आदेश दिए हैं।

यहां से पसंद किया था चश्मा

राजापार्क में सिन्धी कालोनी निवासी आशीष जेठवानी पेशे से अधिवक्ता हैं। 24 अप्रैल, 2012 को उनकी शादी थी। शादी की तैयारी के लिए उन्होंने 16 अप्रैल, 2012 को राजापार्क में विजय पथ स्थित स्पेक्टो वल्र्ड, कम्प्लीट आई केयर नाम की दुकान से अपने लिए एक चश्मा पसंद की।

300 का फ्रेम और 600 के थे ग्लास

फ्रेम के लिए 300 और ग्लास के लिए 600 रूपए सहित 900 का भुगतान किया। 19 अप्रैल को चश्मा लेने गए तो ग्लास के बोल्ट फ्रेम में फिट न होने पर दुकानदार को इस बारे में बताया। लेकिन, दुकानदार ने इसे फिट बताकर दिया। परिवाद के अनुसार 23 अप्रैल को महिला संगीत कार्यक्रम पर आशीष ने चश्मा पहना तो बोल्ट वाले स्थान से फ्रेम टूट गया।

विक्रेता ने कर दिया था इनकार

दूल्हा चश्मा टूटने से अपने ही कार्यक्रम को ठीक से नहीं देख सका। कार्यक्रम के अगले दिन ही दुकानदार के पास फ्रेम डिफेक्ट होने पर बदलने को कहा तो उसने अपनी गलती मानने से इन्कार कर दिया। शादी के दिन भी फिटिंग का चश्मा न होने से परेशानी का सामना करना पड़ा।

उपभोक्ता मंच ने सुनी पीड़ा
सात सितम्बर, 2012 को उन्होंने उपभोक्ता मंच-द्वितीय में परिवाद दायर किया। मंच के अध्यक्ष मिथलेश कुमार शर्मा, सदस्य श्रीचंद कुमावत ने कार्यक्रम के मद्देनजर चश्मा की बनावट सही न करने को सेवादोष माना। स्पेक्टो वल्र्ड के मालिक को चश्मे की 900 रूपए कीमत सहित 4500 रूपए हर्जाना अदा करने के आदेश दिए। खास बात यह हर्जाना परिवाद पेश करने की तिथि से नौ प्रतिशत ब्याज के साथ देना होगा।

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