गुरुवार, 28 नवंबर 2013

चुनावी चौपालो पर जमने लगी अफीम डोडा पोस्त की रंगत



चुनावी चौपालो पर जमने लगी अफीम डोडा पोस्त की रंगत


क्विंटलों अफीम कि खफत हो रही हें बाड़मेर के विधानसभा चुनावो में



बाड़मेर आगामी एक दिसंबर को होने वाले सात विधानसभा क्षेत्रो में चुनावी चौपालो पर अफीम और डोडा कि रंगत नज़र आने लगी हें। अब तक बाड़मेर जिले के सात और जैसलमेर जिले कि   विधानसभा क्षेत्रो में सैकड़ों क्विंटल अफीम और डोडा पोस्त उठ चुका हें। जो उम्मीदवार जितना अधिक अफीम चुनावों में फेंकेगा उसका उतना ही अधिक माहौल बनेगा। चुनाव आयोग के आचार संहिता कि सरे रह धज्जिया उड़ाते विभिन दलो के सभी प्रत्यासी मतदाताओ और कार्यकर्ताओ को लुभाने के लिए अफीम का इस्तेमाल कर रहे हें।


चुनावी चौपालों में रंगत। … प्रत्यासियो के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रो में आयोजित की जाने वाली सभाओ से पहले कार्यकर्ता बड़े बुजुर्गो के साथ जैम कर अफीम का सेवन करते हें। अफीम का सुरूर होने पर अधिक भागदौड़ करते हें ,बड़ी बड़ी बैठको के आयोजन कि जिम्मेदारी निभाते हें। टिकट मिलाने से लेकर नामांकन भरने तक ही प्रत्यासियो कि एक एक क्विंटल अफीम का उठाव हो जाता हें। फिर प्रत्यासियो के खुलने वाले कार्यालयो में भी जमकर अफीम का उपयोग होता हें प्रत्येक बूथ पर पाँव भर से आधा किलो अफीम मतदान के दिन भेजी जाती हें। राजनितिक डालो द्वारा आयोजित होने वाली सभाओ में भी अफीम और डोडा पोस्त का छककर इस्तेमाल होता हें। बाड़मेर जिले में सामान्यतः अफीम का सेवन अत्यधिक होता हें , चुनावो के समय उपयोग सामान्य से तीन गुना अधिक हो जाता हें



तस्करी से आता हें। । बाड़मेर जिले में लाइसेंस सुदा अफीम और डोडा पोस्त कि दुकाने बहुत कम हें ,इन जितना डोडा पोस्त और अफीम महीने भर में आता हें उतना एक दिन में बाड़मेर के लोग सेवन कर लेते हें। चुनावो के दौरान अफीम तस्कर , उम्मीदवार से अफीम और डोडा का लेते हें। पुलिस कि आँखों में आसानी से धूल झोंक कर करदो रुपयो कि अफीम कि तस्कर मध्यप्रदेश और राजस्थान के चित्तोड़ जिले से कि जाती हें ,अफीम माफियो के लिए सीजन का समय से। अफीम का दूध भी खूब लाया जा रहा हें।




आचार संहिता धज्जिया।चुनावों के दौरान उठाने वाले सेकड़ो क्विंटल अफीम और डोडा पोस्त सामान्यतः तस्करी के जरिये आता हें ,चुनाव आयोग ने वैसे किसी भी चुनावी कार्यक्रम में नहा प्रवर्ति को बढ़ावा देने पर आयोग कि आचार संहिता कि रोज धज्जिया उड़ाती हें।


एक किलो अफीम भी बरामद नहीं। चुनावो में अफीम के बांटने कि जानकारी पुलिस विभाग को हें ,उन्हें यह भी पता हें कि अफीम माफिया इन दिनों दिन रत जरिये तस्करी अफीम ला रहे हेह मगर अब तक बाड़मेर पुलिस ने एक किलो अफीम या डोडा बरामद करने में सफल नहीं हो पाये। चुनाव आयोग द्वारा बनाये उड़न दस्ते नक्कारा साबित हो रहे हें ,पुलिस को पूछो तो एक ही जवाब मिलता हें हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई।


चुनावो में रियानो का महत्त्व। चुनावो के दौरानअक्सर नाराज कार्यकर्ताओ को मानाने गाँवों में पहुँचाने वाले प्रत्यासी अफीम कि मनुहार से ही कार्यकर्ता कि नाराजगी दूर करते हें। इस दरें गाँवों में रियान का आयोजन कर गांव के वरिस्थ लोगो कि उपस्थिति में राजी नामा होता हें ,राजीनामे के बाद जमती हें रियान इसके लिए गाँव में रियान का आयोजन होता हें जिसमे गांव के वरिष्ठ लोग शिरकत करते हें ,फिर शुरू होता हें अफीम कि मनुहार का दौर। एक रियान में पचास किलो तक अफीम का उठाव हो जाता हें।


प्रचार में अफीम का उपयोग। प्रत्यासियो के प्रचार में जेन वाले कार्यकर्ता अपने साथ मन मनुहार कि समस्त वस्तुए अफीम ,डोडा ,सुपारी ,बीड़ी ,सिगरेट ,पान मसला ,गुटखा आदि का पेकेट बना कर साथ रखते हें।





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