सोमवार, 30 सितंबर 2013

सरकार CBI से डरा रही हैः मोदी



भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने केंद्र की कांग्रेस नीत संप्रग सरकार पर हमला करते हुए उस पर आरोप लगाया कि वह उन्हें निशाना बनाने के लिए सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि वह इस तरह की धमकियों से नहीं डरेंगे।
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उन्होंने यहां हवाई अड्डे पर भाजपा समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में सरकार सत्ता की ओर हमारे बढ़ते कदम को रोकना चाहती है। उन्हें हमें धमकाने के लिए सीबीआई को उतार दिया है। सीबीआई मुलायम सिंह यादव और मायावती को चुप करा सकती है लेकिन मुझे नहीं।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद शहर में पहली बार आने पर भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने मोदी का जोरदार स्वागत किया। उन्होंने कहा, वह (केंद्र) हर समय सीबीआई का डर हममें पैदा करने की कोशिश कर रही है। मैं सीबीआई, आईबी रॉ या दुनिया की किसी भी एजेंसी से कभी नहीं डरूंगा।

मोदी, मोदी की पुकार के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी अगवानी के लिए बड़ी संख्या में एकत्र हुई भीड़ दिल्ली में सरकार में घबराहट पैदा कर देगी। उन्होंने कहा कि वे (केंद्र) जानते हैं कि जो लोगों के साथ उनके अच्छे और बुरे समय में हैं वे केंद्र में अपनी सरकार बनाएंगे। अब यहां भीड़ उनमें और घबराहट पैदा कर देगी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अमेरिका में हैं लेकिन लोगों को विश्वास नहीं है कि उनकी यात्रा से देश को कोई लाभ होगा। उन्होंने कहा कि मैं छत्रपति शिवाजी की भूमि पर हूं। मैं चाहता हूं कि यह धरती मुझे आशीर्वाद दे ताकि मैं शोषितों, वंचितों की सेवा कर सकूं। मैं चाहता हूं कि यह धरती मुझे आशीर्वाद दे ताकि मैं कोई गलती नहीं करूं।
सीबीआई गुजरात दंगों और फर्जी मुठभेड़ के कई मामलों की जांच कर ही है जिसमें मोदी के कुछ करीबी सहायकों से एजेंसी ने पूछताछ की है। उनके आलोचकों ने इन मामलों से मोदी का नाम जोड़ा है लेकिन अब तक सीबीआई ने उन्हें नामजद नहीं किया है।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने भीड़ से कहा कि देश की तकदीर को इन बेईमान लोगों पर नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि इन लुटेरों के साथ युवाओं के भविष्य को नहीं छोड़ा जा सकता। आप लंबे समय तक कष्ट नहीं सहेंगे। हम दिल्ली में सत्ता में आ रहे हैं।

पेट्रोल 3.05 रुपये सस्ता, तो डीजल 50 पैसे लीटर महंगा



नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट और डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने के मद्देनजर तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमत में 3.05 रुपये प्रति लीटर कमी करने की घोषणा की है। लेकिन डीजल के दामों में पचास पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है। इसमें वैट टैक्स अतिरिक्त होंगे। नई दरें आज रात से लागू हो जाएगी।



दरअसल पिछले पांच महीने के बाद पेट्रोल की कीमतों में पहली बार कमी की गई है। पेट्रोल की कीमतों में पिछले पांच साल के बाद एक बार में यह सबसे अधिक कमी की गई है। इससे पहले इसी साल एक मई को तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दाम में तीन रुपये प्रति लीटर की कमी थी, जो पिछले पांच सालों के दौरान सबसे अधिक थी।

लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाज़े गए मनोज कुमार



वयोवृद्ध अभिनेता मनोज कुमार को हाल में यहां आयोजित हुए फिल्म महोत्सव के चौथे संस्करण में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा गया।
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वहीं, अभिनेत्री श्रीदेवी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। जबकि सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार फिल्म ‘बर्फी’ के लिए अभिनेता रणबीर कपूर और ‘भाग मिल्खा भाग’ के लिए फरहान अख्तर को सम्मिलित रूप से दिया गया।

फिल्म ‘काय पो चे’ के लिए अभिषेक कपूर को सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार से नवाजा गया।

एक बयान में कहा गया कि स्पेशल ज्यूरी पुरस्कार, भारतीय सिनेमा की मुख्यधारा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए मलयालम फिल्म ‘विश्वरूपम’ को दिया गया।

महोत्सव के अन्य पुरस्कारों में गायिका अदिति सिंह शर्मा को फिल्म ‘हीरोइन’ के लिए सर्वश्रेष्ठ गायिका के पुरस्कार से नवाजा जाना शामिल रहा। वहीं, अभिनेता-गायक आयुष्मान खुराना ने ‘विक्की डोनर’ के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरुष गायक का पुरस्कार पाया। जबकि संगीत निर्देशक प्रीतम को फिल्म ‘बर्फी’ में उनकी शानदार धुनों के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत का पुरस्कार मिला।

महोत्सव का समापन समारोह यहां 24 से 29 सितंबर तक आयोजित हुआ। महोत्सव ने सात राज्यों के 15 शहरों की यात्रा की और यहां सम्पन्न हुआ।

बाड़मेर रेगिस्तान में इन्द्रदेव का तांडव। चार दिनों से बारिश जारी

बाड़मेर रेगिस्तान में  इन्द्रदेव का तांडव। चार दिनों से बारिश जारी 


बाड़मेर राजस्थान के रेगिस्तान में बारिश का कहर पिछले चार दिनों लगतार जारी है बाड़मेर जिले में रुक रुक कर हो रही बारिश ने अपना कहर बरपा रखा है आम लोगो के साथ ही अब तो अधिकरियो से लेकर पुलिस के सिपाही तक जीना बेहाल हो चूका है हम ऐसे एक थाने से रूबरू कराते है जहा पर पिछले 72 घंटे से हो रही लगतार बारिश से पूरा थाना पानी में डूबा है इस थाने में काम करने वाले थानेदार से लेकर सिपाही तक परेशान है कहते है ना भला कुदरत के सामने किसकी चलती है  

 यह है राजस्थान बाड़मेर शहर में की जीआरपी थाना जो की पूरी तरीके से में डूबे पहले हम आपके इस थाने की रात की कुछ तस्वीरे बताते है जिसमे किसी तरह सिपाही से लेकर दरोगा तक पानी के बीच अपनी रात गुजार रहे है क्योकि यह मजबूर है इनकी डियूटी करनी है लिहजा यह कुछ भी नहीं कर सकते है इस थाने का ऐसा कोई भी कमरा नहीं जहा पर बरसता का पानी नहीं घुसा हो आलम यह है कि कई अहम दस्तावेज पानी में भीग चुके है 
 
  इस खाकी वर्दी वाला का इस लगतार हो रही बारिश ने जीना बेहाल कर दिया है बाड़मेर शहर में रेलवे की जीआरपी थाने के परिसर में करीब दो फीट से ज्यादा पानी थाने के अंदर तक जाने के लिए किसी भी फरियादी को बड़ी मशक्त करनी पड़ रही है यह पर काम करने वाले सिपाही की माने तो जब भी लगतार बारिश होती है तो हेमशा यह दिक्कत आती है लेकिन हमारी भी तो नहीं सुनता है अब हमें इस बात का डर लगतार है कई लगतार बारिश के चलते यह थाने दीवारे या छते ढह न जाए इस बात हमें खोफ हमें हर पल सता सता रहा है 
 
  गुजरात के बाद इन्द्रदेव ने गुजरात से लगते बाड़मेर जिले में अपना तांडव मचा रखा है लगतार हो रही बारिश के चलते अब हर कोई यह दुआ करत नजर आ रहा है कि आखिर कब थमेगा बारिश का यह दोर लेकिन मोसम विभाग ने अगले 24 घंटे में रेगिस्तान में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है

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लोगो को जीवनदान देता एक रक्तदाता रतन भवानी

लोगो को जीवनदान देता एक रक्तदाता रतन भवानी

भाटी चन्दन सिंह


-- बाड़मेर : बाड़मेर के युवा सकारात्मक सोच लेके आगे बढ़ रहे हें ...रतन
भवानी का नाम किसी से अंजना नहीं हें ,मिलनसार और म्रदुभाद्शी ,सरल
स्वाभाव ...जिम के शौकीन रहे रतन भवानी महँ रक्तदाता के रूप में अपनी
विशिष्ठ पहचान रखते हें ,किसी गरीब मजलूम अनजान को भी अस्पताल में खून की
जरुरत हो एक बुलावे पर अपनी टीम के साथ पहुँच जाते हें .युवाओ के लिए
आदर्श और प्रेरणास्रोत हें रतन भवानी जिसके जज्बे को सलाम ...आम राय होती
हैं कि इंसान खून का नाम सुनकर सन्न रह जाता हैं या यूँ कहे कि खून देखकर
ही विचलित हो जाता हैं तो यह सही होगा। लेकिन पश्चिमी राजस्थान में एक और
जहां राज्य सरकार ने अपने स्तर पर रक्तदान को महान बता कर इसके बारे में
फैलाई गई भ्रांतियां तोड़ने की कई कोशिशे की हैं लेकिन इन सारी योजनाओं
और कोशिशों से ज्यादा एक युवक का शगल ज्यादा भारी पड़ा है। इस युवक ने ना
केवल अपने खून से कई जाने बचाई हैं बल्कि सबसे ज्यादा बार रक्तदान करने
का रिकॉर्ड भी राज्य में बना दिया हैं। इस युवक का मानना हैं कि खून के
रिश्ते को दुनिया का सबसे अटूट बंधन माना जाता है और अपनी रगों में बहते
खून के चंद कतरे ''दान'' करके आप ऐसे अनजाने लोगो की जान निस्वार्थ भाव
से बचा सकते हैं जो आपसे कभी मिले नहीं या फिर आपका कोई उनसे वास्ता नहीं
रहा हो। इस युवक की मानसिकता से प्रभावित होकर बाड़मेर शहर में बहुत से
लोग रक्तदान के महत्व को समझते हैं और अब तक सैकड़ों युवक इस युवक से
प्रेरणा लेकर कई बार रक्तदान कर चुके हैं।

रतन भवानीरतन की सोच हैं कि रक्तदान को महादान माना जाता है। इससे
रक्तदाता को आत्मसंतोष और किसी की जान बचाने का सुकुन हासिल होता है।
स्वस्थ व्यक्ति हर तीन माह में एक बार रक्तदान कर सकता है और अगर देश का
हर स्वस्थ नागरिक नियमित रूप से रक्तदान करे तो रक्त की कमी से किसी की
मौत नहीं होगी। अब तक सत्तर से ज्यादा बार रक्तदान कर चुके 40 वर्षीय रतन
भवानी ने बताया कि मैं कई सालों से रक्तदान कर रहा हूँ, साल में चार बार
रक्तदान जरूर करता हूं। रक्तदान मेरे लिए दूसरों का जीवन बचाने और उनकी
मदद करने का जरिया है। ब्लड डोनर के तौर पर मेरा खून बहुत से लोगों के
काम आता है। बाड़मेर निवासी इस चलते फिरते ब्लड बैंक को लोग रतन भवानी से
ज्यादा रक्त भवानी के नाम से जानते हैं और बड़ी इज्जत के साथ इनसे लोग
मिलते भी हैं। 75 बार अपना खून गैरों की रगों में बहा कर उन्हें नवजीवन
देने वाले इस साहसिक युवक की माने तो जब हर क्षण नया खून बनता हैं और
पुराने खून का अस्तित्व खत्म हो जाता हैं तो हमे रक्तदान में किस बात की
हिचक।

सैकड़ों रक्तदाताओं की टीम बना चुके हैं रतन : पहली बार रतन भवानी ने उस
वक्त रक्तदान किया जब वे खेल के मैदान में खेल रहे थे और उन्हें सूचना
मिली कि उनके पड़ोस में रहने वाली आठ साल की बच्ची छत से पतंग उड़ाते समय
गिर गई हैं और उसे खून चाहिए, घरवालों के मना करने और काफी डर होने के
बाद भी रतन सीधे अस्पताल पहुंचे ब्लड ग्रुप को चेक करवाया और किस्मत से
ब्लडग्रुप वही निकला जो उस बच्ची को चाहिए था, बस फिर क्या था इस रक्तदान
अभियान की शुरुआत हो गई और उसके बाद यह सिलसिला चल पड़ा। अब तक रतन भवानी
कई लोगो को जीवनदान दे चुके हैं और साथ ही साथ रक्तदाताओं की ऐसी टीम बना
चुके हैं, जिसके सदस्य पन्द्रह या बीस नहीं बल्कि डेढ़ सौ से ज्यादा हैं,
जो हर आपातकाल में रक्तदान के लिए तत्पर रहते हैं। बाड़मेर अस्पताल में
अब जब भी रक्तदान की बात आती हैं चिकित्सक से आम आदमी हर किसी के मुंह से
सीधे यही वाक्य निकलता हैं कि रतन भवानी को पूछो। ऐसे में रतन भवानी और
उनकी टीम बाड़मेर के लोगों की लाइफलाइन बन कर साबित हो रहे हैं। रतन
भवानी के साथ इस रक्तदान के मिशन को उनके साथी संजय जोशी भी आगे बढ़ा रहे
हैं। संजय जोशी पेशे से शारीरिक शिक्षक हैं और वो भी रतन भवानी के
सम्पर्क में आने के बाद करीब चालीस बार रक्तदान कर चुके हैं। संजय जोशी
के अनुसार पहली बार जब रक्तदान किया तो काफी भयभीत था लेकिन जब इस बात की
संतुष्टि मिली कि इस खून से किसी को नई जिन्दगी मिली हैं तो भय भी खत्म
हो गया और एक नए मिशन की नींव मन में स्थापित हो गई।

प्रशासन चाहे तो सैकड़ों रतन हो सकते हैं बाड़मेर में : दरअसल बाड़मेर के
इस साहसिक रक्तदाता को कभी प्रशासन या सरकार ने प्रोत्साहित करने का
प्रयास ही नहीं किया। एक बाद अस्पताल प्रशासन की अनुशंसा के आधार पर रतन
भवानी को पन्द्रह अगस्त पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया, लेकिन
उसके बाद कभी भी उनके इस हौसले की तारीफ करने को आगे नहीं आया। चाहे कवास
में आई बाढ़ हो या फिर हर बाद मलेरिया की भीषण महामारी रतन भवानी हर बार
अस्पताल में ब्लड बैंक के आगे ही नज़र आये। बाड़मेर में लोग रात को तीन
बजे भी अगर फ़ोन कर लें रतन भवानी उनके सहयोग के लिए तत्पर नज़र आयेंगे,
लेकिन ना जाने क्यूँ प्रशासन ने इस साहस का कभी अपने स्तर पर सम्मान करना
उचित नहीं समझा, जिसके चलते रतन भवानी काफी व्यथित हैं। बाड़मेर जिला
कलेक्टर कार्यालय में बतौर वरिष्ठ लिपिक कार्य करने वाले रतन भवानी कहते
हैं कि सरकार और जिला प्रशासन कोई ऐसी मुहिम चलाए जिसके कारण युवा वर्ग
रक्तदान के प्रति अग्रसर हो और उसके कारण कई लोगों की अकाल मौत ना हो
पाए। रतन इस तरह के अभियान में अपनी सेवाएँ देने को हमेशा तैयार रहते
हैं।

दूरदर्शन भी बना चुका हैं रतन पर टेलीफिल्म : रतन भवानी के रक्तदान के
प्रति समर्पण और जज्बे के कारण दिल्ली दूरदर्शन ने दो एपिसोड की
डॉक्युमेंट्री फिल्म जिसका नाम किरण था को शूट कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
प्रसारित किया था, जिसके बाद पूरे भारत में रतन भवानी का नाम हुआ और लोग
उनसे जरिये पत्र और टेलीफोन सम्पर्क करने लगे साथ ही लोग उनसे पूछते थे
कि रक्तदान करने से क्या मिलता हैं तो रतन उन्हें जवाब देते कि रक्तदान
ने जिन्दगी बचाने का पुण्य और बार-बार रक्तदान करने का हौसला मिलता हैं।


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बाड़मेर सभापति की कार्यप्रणाली के खिलाफ धरना गुरूवार को ,जनता करेगी खिलाफत


बाड़मेर सभापति की कार्यप्रणाली के खिलाफ धरना गुरूवार को ,जनता करेगी खिलाफत 


बाड़मेर नगर परिषद् बाड़मेर की सभापति उषा जैन की विवादास्पद कार्यप्रणाली को लेकर गुरूवार को उनकी पार्टी के ही पार्षद जनता के साथ उनके खिलाफ धरने पर बैठेंगे ,दो रोज पूर्व ही कांग्रेस के पार्षदों की निजी होटल में हुई बैठक में सभापति की कार्य प्रणाली को लेकर विरोध के स्वर उठे थे ,सभापति के खिलाफ धरना , प्रदर्शन और अविश्वास प्रस्ताव लाने पर सहमती बनी थी ,.पर्शद उर्मिला जैन के नेतृत्व में बाड़मेर शहर के व्यापारी भी इस धरने में शामिल होंगे ,हाल ही में बाड़मेर शहर की सब्जी मंडी के सभापति की कार्यप्रणाली और यातायात पुलिस की मनमर्जी के खिलाफ चार दिनों से हड़ताल पर हें जिसके कारण बाड़मेर वासियों को बरसात के साथ सब्जी की भी परेशानी उठानी पद रही हें। नगर परिषद् के सामने गुरूवार को पार्षद उर्मिला जैन के नेतृत्व में धरना दिया जाएगा ,इस धरने को शहर के विभिन सामाजिक संघठन समर्थन कर रहे हें। पार्षद उर्मिला जैन ने बताया की धरने पर हजारो लोग अपनी मांग जिला प्रशासन के सामने रखेंगे। उन्होंने बताया की धरने के अविश्वास प्रस्ताव जाएगा।

पाकिस्तान के सताए दलित परिवार पर भारत में भी अत्याचार की इंतिहा

पाकिस्तान के सताए दलित परिवार पर भारत में भी अत्याचार की इंतिहा
बाहुबलियों ने चालीस दलितों को गाँव बदर किया ,प्रशासन मौन 


बाड़मेर गरीबो और दलितों पर बाहुबलियों का अत्याचार कोई नई बात नहीं हें। बाड़मेर जिले में पिछले दो माह से सरहदी गाँव इटादा के चालीस सदस्यों के दलित परिवार को गाँव से बदर कर दिया ,पीड़ित परिवार के सदस्यों ने जिला प्रशासन से लेकर जन प्रतिनिधियों की चोउखतो पर सजदा कर रहे हें मगर इन परिवार की कोई सुनाने वाला नहीं। दलितों के विकास और सुरक्षा का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दावा खोखला साबित हो रहा हें ,इस दलित परिवार को सरहदी गाँवों में आंतक का पर्याय बने बाहुबलियों ने न केवल गाँव से बदर किया बल्कि उनके घरो को जमींदोज कर दिए। आज उनके सर पर छत तक नहीं हें। पुलिस के आला अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बेठे हें। इस परिवार की मदद को कोई आगे नहीं आ रहा।


सियासती तौर पर बाहुबलियों को उनके इस कृत्य पर पूरा समर्थन मिलाने से उनके हौंसले बुलंद हें। कथित तौर पर पाकिस्तान के जुल्मो के आगे घुटने टेक भारत की शरण में आये इस दलित परिवार को भारत में जा रहा हें ,सप्ताह में चार दिन यह लोग कलेक्टर परिसर में अपना वक़्त इस खौफ के साथ गुजरते हें की बाहर कही गए तो बाहुबली उन्हें जान से मार देंगे ,मासूम बच्चो और महिलाओं को साथ लेकर यह परिवार दर दर की ठोकरे खा रहे हें।


जिले के पाक सीमा से सटे इटादा गांव मे छः दलित परिवारो के करीब चालीस से पचास लोगो पर जुल्म की इन्ताह हो गई। अब इन पाक शरणार्थी परिवारो को गांव से बाहर निकाल दिया गया साथ यह भी फरमान सुना दिया गया है । की अगर किसी ने गांव मे आने की हिम्मत जुटाई तो उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है। पिछले करीब डेढ माह से इन परिवारो के बच्चो से लेकर बुढो तक खौफ के साए मे दर-दर की ठोकरे खा रहे है। प्रशासनिक अधिकारी इनकी फरियाद सुनने को तैयार नही है। अब यह मामला पुलिस और प्रशासन के ढिले रवेया के चलते सियासी रंग लेता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन पुलिस और प्रशासन अभी कुभकरण की नींद मे सोया हुआ है। और किसी बड़े आन्दोलन के इंतजार मे है पाक सीमा से सटे इटादा गांव मे रहने वाले शागराराम दलित के साथ पाक शरणार्थी है इनके परिवार ने पाक मे हिन्दूओ पर हो रहे अत्याचार और जुल्म के चलते चालीस साल पहले पाक छोड़ कर भारत मे बाड़मेर जिले के पाक सीमा से सटे इटादा गांव मे रह रहे थे।


लेकिन यह परिवार गांव में पिछले 40 वर्षो से रह रहा था लेकिन इन परिवारो ने कभी अपने रहवासी मकानो का पट्टा नही बनाया जिसका खामियाजा आज इन परिवारो को एक नादान लड़के के प्यार ने दर दर की ठोकरे खाने को मजबुर कर दिया है गांव के दंबगो ने दलित लड़के के परिवारो को गांव से बेदखल कर दिया और उनके झोपों को आग के हवाले कर दिया और गांव में लौटने पर जान से हाथ धोने की धमकी दे डाली । लेकिन पीड़ीत परिवारो द्वारा पुलिस व प्रशासन के सामने न्याय की उम्मीद लिए पिछले दो माह से जिला कलेक्टर से लेकर पुलिस अधीक्षक तक गिड़गिड़ा रहे है लेकिन इन परिवारो को न्याय के लिए दर दर की ठोकरे खाने को मजबुर है गांव में समुदाय विशेष के लोगो द्वारा दलित परिवारो को गांव से बेदखल करने के दो माह बाद भी पीड़ीतो को न्याय नही मिलने के कारण व आगामी विधानसभा चुनाव नजदिक आते देख अब यह मामला शियासी रंग लेता हुआ नजर आ रहा है और भाजपा के नेताओ ने पीड़ितो को न्याय नही मिलने पर बड़े आन्दोलन की चेतावनी दी है और पुलिस व प्रशासन को चेताया है की अगर समय रहते इन परिवारो को न्याय नही मिला और आरोपी गिरफ्तार नही हुए इसका परिणाम प्रशासन को भुगतना पड़ सकता है ।
अगर समय रहते पुलिस व प्रशासन ने इस मामले को गंभिरता से नही लिया तो कही चुनावी वर्ष में यह मामला युपी के मुज्जफरनगर की घटना की तरह फैल नही जाए और सरकार को कही इस मामले में बड़े आन्दोलन को नही झेलना पड़ा । अगर राज्य सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप कर पुलिस व प्रशासन को कड़े निर्देश नही दिए तो यह मामला कही राजनितिक रुप न ले लें । लेकिन जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की कार्यशेली को देखते हुए प्रशासन किसी बड़े आन्दोलन के इंतजार में है ।


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डा.खुशवंत खत्री बने आरसीएचओ



डा.खुशवंत खत्री बने आरसीएचओ

बाडमेर। बाडमेर जिला चिकित्सालय में ब्लड बैंक का प्रभार देख रहे डा. खुशवंत खत्री जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन उप सचिव के निर्देशानुसार सोमवार को डा. खत्री ने इस पर को ज्वाइन कर लिया। सीएमएचओ डा. जितेंद्रसिंह ने बताया कि डा. खुशवंत खत्री ने बतौर संविदा चिकित्सक के जनवरी 2005 में गडरारोड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्य प्रारंभ किया और उन्होंने यहां सितंबर 2008 तक अपनी सेवाएं दी। इसके बाद जनवरी 2012 तक इन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भियांड पर अपनी नियमित सेवाएं दी। बेहतर कार्य को देखने को डा. खत्री को जिला चिकित्सालय में नियुक्त किया गया, जहां इन्हें ब्लड बैंक के प्रभार के साथ ही मुख्यंमत्री नि:शुल्क जांच योजना को जिला नोडल अधिकारी भी बनाया गया। सीएमएचओ डा. सिंह ने कहा कि निशिचत ही डा. खत्री के इस पद पर ज्वाइन करने से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा।

दहेज के लिए पत्नी का सिर मुंडा, गरम कील दाग दी, पेट में ट्यूबलाइट भोंक दी और फिर..



उड़ीसा के भुवनेश्वर शहर में एक आदमी ने कम दहेज लाने पर अपनी पत्नी को दरिंदगी की हद तक प्रताड़ित किया. उसने अपनी पत्नी के सिर पर उस्तरा फेरकर उसके सब बाल काट दिए. फिर गरम कील से पत्नी की ठोड़ी पर बने तिल को दाग दिया. उसके बाद पति ने एक टूटी हुई ट्यूबलाइट को अपनी पत्नी के पेट में घोंप दिया और आखिर में पत्नी के यौनांगों को सिलकर उसे खून में सना छोड़ भाग गया. पति के परिवार वाले अपनी बहू को अस्पताल ले गए. मगर फिर वहीं छोड़कर वे भी भाग गए. कुछ दिनों बाद जब हिंसा की शिकार हुई इस महिला के भाई को पता चला, तब मामला सामने आया.
महिलाओं के खिलाफ अपराध
ये घिनौना शर्मसार करने वाला कांड हुए एक हफ्ता बीत गया है. मगर पुलिस को इसका पता तब चला जब उस औरत के भाई ने बीती 28 तारीख को शिकायत दर्ज करवाई.

शादी के एक साल बाद ही शुरू हुआ अत्याचार
एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक यह घिनाना अपराध करने वाला राजन पांडा 32 साल का है और टेंट और कैटरिंग का कारोबार करता है. अब से आठ बरस पहले साल 2005 में उसकी शादी इस महिला से हुई थी. इन दोनों का सात साल का बच्चा है.

शादी के एक बरस के अंदर ही राजन अपनी पत्नी को कम दहेज लाने के लिए प्रताड़ित करने लगा. फिर वह यह शक भी करने लगा कि उसकी पत्नी का चरित्र ठीक नहीं है.

पति की मारपीट से आजिज आकर महिला ने पिछले बरस महिलाओं के थाने में राजन के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. पुलिस के सामने पेशी हुई तो राजन ने माफी मांग ली और यकीन दिलाया कि अब वह ठीक से पेश आएगा.मगर इसके बाद भी बकौल लड़की के भाई, राजन का अत्याचार जारी रहा.

नशीली गोलियां खिलाकर किया घिनौना काम
पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक 24 सितंबर की रात को राजन ने अपनी पत्नी को नशीली गोलियां खिला दीं. जब वह इसके चलते बेहोश हो गई, तो राजन की दरिंदगी का दौर शुरू हुआ. उसने पहले अपनी पत्नी का सिर मूंड दिया. फिर कील गरम की और उसे चेहरे पर बने तिल पर दाग दिया. फिर पेट में ट्यूबलाइट का टूटा हुआ टुकड़ा भोंक दिया. आखिर में अपनी विकृत मानसिकता को विस्तार देते हुए अपनी पत्नी के यौनांगों को सिलकर उसे वहीं मरने के लिए छोड़ चला गया.

ससुराल वाले भी निकले क्रूर
जब राजन के परिवार वालों ने देखा कि उसकी पत्नी का बुरा हाल हो गया है तो वे उसे 27 सितंबर को एक प्राइवेट अस्पताल ले गए.जब अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि यह पुलिस केस भी लगता है और मरीज की हालत भी बहुत खराब है, इसे मेडिकल कॉलेज ले जाइए, तो परिवार वाले बहू को वहीं छोड़कर भाग गए.

अस्पताल प्रबंधन से लड़की के भाई को इसके बारे में पता चला और फिर उसने अपनी बहन को मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए दाखिल करवाया. अगले दिन पुलिस को इस बारे में शिकायत की.उसके बाद पुलिस ने राजन को गिरफ्तार कर लिया.


 

जगनमोहन रेड्डी को नरेंद्र मोदी अच्छे लगने लगे



बीजेपी के पीएम इन वेटिंग नरेंद्र मोदी को वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी के रूप में नया समर्थक मिला है. दरअसल, जगन रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नरेंद्र मोदी की तारीफ की और कहा कि उन्हें मोदी प्रशासक के तौर पर पसंद हैं.
वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी
जगन रेड्डी ने कहा, 'मुझे नरेंद्र मोदी प्रशासक के तौर पर पसंद हैं. मैं चाहता हूं कि मोदी देश की व्यवस्था में बदलाव लाएं.' जगन रेड्डी के इस बयान के बाद सियासी पारा चढ़ना तय है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोदी की तारीफ में जगन का ये बयान लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अहम है. इसे चुनाव पूर्व या फिर बाद में बनने वाले गठबंधन के संकेत से जोड़कर देखा जा सकता है. वहीं, मोदी की तारीफ करके जगन ने कांग्रेस को इशारे ही इशारे में चेतावनी दे दी.

गौर करने वाली बात यह भी है कि हाल के दिनों में बीजेपी और टीडीपी की नजदीकियां बढ़ी हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि एन चंद्रबाबू नायडू की पार्टी एनडीए का हिस्सा बन सकती है. ऐसे में नायडू के प्रखर विरोधी जगन रेड्डी का एनडीए के साथ आना फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आती है.

पर सियासत को कोई स्थायी दुश्मन नहीं होता और न ही दोस्त.

जगन रेड्डी ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी सेकुलर है, साथ ही सभी पार्टियों को धर्मनिरपेक्षता की राह चलने की सलाह दी.

जगन ने उन अफवाहों को खारिज कर दिया जिसमें उनके और कांग्रेस के बीच डील होने की बात कही जा रही थी.

उन्होंने कहा, 'अगर कांग्रेस के साथ कोई डील होती तो मैं 16 महीने तक जेल में क्यों रहा. मुझे बेल इसलिए मिली क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को चार महीने अंदर जांच खत्म करने को कहा था ताकि मैं जमानत के लिए अर्जी दे सकूं.'

उन्होंने कहा, 'वाईएसआर कांग्रेस हम आंध्र प्रदेश के विभाजन के खिलाफ हैं. हमारी पार्टी इसके लिए हैदराबाद में 15 से 20 अक्टूबर के बीच बैठक बुलाएगी. हमारी मांग के इस मसले पर आंध्र प्रदेश विधानसभा की विशेष सत्र बुलाई जाए.'

चुनावी साल में चिंता: 'मुस्लिम युवकों को गलत तरीके से हिरासत में ना रखें'

नई दिल्ली. अब एक बार फिर कांग्रेस और बीजेपी में तलवार खिंचने के आसार हैं. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को सभी मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी है. गृह मंत्री ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोई भी बेकसूर मुस्लिम युवक आतंक के नाम पर गलत तरीके से हिरासत में न लिया जाए. बस इस चिट्ठी के आते ही बीजेपी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में इसे एक सांप्रदाय को रिझाने की पहल करार दिया है.
मुख्यमंत्रियों को लिखी एक चिट्ठी में शिंदे ने कहा है कि केंद्र सरकार को ऐसी सूचना मिल रही है कि तक कानून व्यवस्था की एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर बेकसूर मुस्लिम युवाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने लिखा है, 'कुछ अल्पसंख्यक युवाओं को लग रहा है कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया और उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित किया गया है.' गृह मंत्री ने जोर दिया कि सरकार हर तरह के आतंकवाद से मुकाबला करने के अपने मुख्य सिद्धांत पर प्रतिबद्ध है.

उन्होंने मुख्यमंत्रियों को लिखा है, 'सरकार को यह तय करना है कि कोई भी बेकसूर व्यक्ति बेवजह परेशान न हो.' शिंदे ने राज्य सरकारों से कहा कि वे आतंकवाद संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के परामर्श से विशेष अदालतें स्थापित करें, विशेष सरकारी वकीलों की नियुक्ति करें और अन्य लंबित मामलों की तुलना में ऐसे मामलों को प्राथमिकता दें.

गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के इस पत्र का प्रमुख विपक्षी दल ने विरोध किया है. पार्टी नेता एम वेंकैया नायडू ने कहा कि शिंदे को यह पत्र तुरंत वापस लेना चाहिए. यह घोर आपत्तिजनक है, लोकतंत्र और सेक्युलरिज्म के खिलाफ है.

वायुसेना दिवस के उपलक्ष में वायुसेना स्टेशन जोधपुर ने मनाया ' भारतीय वायुसेना जागरूकता दिवस



वायुसेना दिवस के उपलक्ष में वायुसेना स्टेशन जोधपुर ने मनाया

' भारतीय वायुसेना जागरूकता दिवस 

81वें वायुसेना दिवस ;08 अक्टूबर 2013द्ध के उपलक्ष में आज जोधपुर सिथत 32 विंग में 'भारतीय वायुसेना जागरूकता दिवस ;'आर्इ ए एफ अवेयरनेस डेद्ध का आयोजन किया गया। इसके तहत आधुनिक हथियारों व उपकरणों का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर आयोजित प्रेस-वार्ता में वायुसेना स्टेशन जोधपुर के वायु अफसर कमाणिडंग एयर कमोडोर बी. साजु ने बताया कि वायुसेना दिवस के उपलक्ष में 12 किमी. लम्बी एक मैराथन का भी आयोजन किया जाएगा जिसमें सेना, सीमा सुरक्षा बल के जवान तथा स्कूल-कालेजों को भी आमंत्रित किया गया है। प्रेस-वार्ता में 32 विंग की सभी यूनिटों के कमान अधिकारी भी उपसिथत थे। एयर कमोडोर साजु ने आगे बताया कि 32 विंग में ए एच एल एमके-ा हैलीकाप्टर भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 31 स्क्वाड्रन 'लायन तथा 32 स्क्वाड्रन 'थण्डरबर्ड गोल्डन जुबली वर्ष मनाने जा रही हैं।

आज विश्व में घोर सामरिक अनिशिचतता छार्इ है और भारत इसके असर से अछूता नहीं है। भारतीय वायुसेना हवार्इ मार्ग प्रशस्त रखने से लेकर आपदा राहत कार्यों और संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा प्रयासों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के कार्यों संबंधी विभिन्न सामरिक भूमिकाओं में शामिल रही है। भारतीय वायुसेना समूचे विश्व में अपने लगभग 9000 हवार्इ योद्धाओं के साथ विभिन्न संयुक्त राष्ट्र शांति सेनाओं का एक अत्यंत सकि्रय घटक रही है। यह ऐसे वैशिवक माहौल में अपनी सामरिक क्षमता की धार पैनी करने के लिए मित्र राष्ट्रों के साथ अनेक हवार्इ अभ्यासों में भी व्यस्त रही है। सैन्य प्रौधोगिकी विकास नर्इ-नर्इ चुनौतियां पेश करता है और राष्ट्रीय हितों को आगे रखते हुए नर्इ और मौजूदा सैन्य क्षमता को सामरिक लाभ की सिथति में लाने का विलक्षण अवसर मुहैया कराता है। अपनी अंतर्निहित प्रकृति के चलते हवार्इ ताकत के पास भरपूर निग्रही सामरिक क्षमता संभावित होती है। आज भारतीय वायुसेना एक संहारक वांतरिक्ष बल बनने के पथ पर बड़ी मज़बूती के साथ कायम है और आधुनिकीकरण तथा सुयोग्य नेतृत्व के बल पर तेजी से बदलती प्रौधोगिकीय वैशिवक चुनौतियों से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। गतिशीलता और अनुकि्रयात्मकता की अपनी अंतर्निहित विशेषताओं की वजह से भारतीय वायुसेना किसी भी आपदा राहत और मानवीय सहायता के कामों के लिए सकि्रय होने वाले अग्रणी संगठनों में से एक है।

31 स्क्वाड्रन, वायुसेना

31 स्क्वाड्रन जिन्हें 'लायन के नाम से जाना जाता है की स्थापना 01 सितम्बर 1963 को मिस्टीयर विमान के साथ पठानकोट में हुर्इ। पशिचमी क्षेत्र में स्क्वाड्रन ने पठानकोट, हिण्डन- जोधपुर से हलवारा होते हुए पुराने विमान मिग-23 बी एन को विदार्इ देकर जनवरी 2009 में सुखोर्इ-30 एम के आर्इ लड़ाकू विमान से सुसजिजत हुए।

स्क्वाड्रन का ध्येय 'शत्रु छिद्रे प्रहार जिसका अर्थ शकित, संतुलन और वीरता को अंकित करता है। दुश्मन को नष्ट करने के लिए सदैव तत्पर रहता है। स्क्वाड्रन ने कर्इ अभियान तथा आपरेशन में सेवा देकर राष्ट्र तथा भारतीय वायुसेना को अभूतपूर्व सेवाऐं दी हैं।

स्क्वाड्रन वर्तमान में पुणे से जोधपुर में 01 नवम्बर 2011 से स्थापित होकर राजस्थान की वायु रक्षण सीमा की रक्षा कर रहा है। स्क्वाड्रन का सुनहरा इतिहास है। इसे विविध लड़ाकू विमान जैसे - मिस्टीयर, मारूत तथा मिग-23 बी एन को उड़ाने का अनुभव प्राप्त है। वर्तमान में स्क्वाड्रन सुखोर्इ-30 एम के आर्इ से सजिजत है तथा उज्जवल भविष्य का वादा करता है।

'लायर को भारत-पाक युद्ध-1965, भारत-पाक युद्ध-1971 तथा कारगिल लड़ार्इ-1999 में लोहा मनवाने के कारण 1 महावीर चक्र, 5 वीर चक्र, 1 शौर्य चक्र तथा 1 वायुसेना मेडल ;जीद्ध से नवाजा गया। राष्ट्र के प्रति नि:स्वार्थ सेवा करते हुए इसको 8 जनवरी 2011 में राष्ट्रपति स्टैण्डर्ड से भी विभूषित किया गया।

थण्डरबर्ड का इतिहास

नंबर 32 स्क्वाड्रन जो ''थंडरबर्ड के नाम से विख्यात है 15 अक्टूबर 1963 को पंजाब के आदमपुर जिले में असितत्व में आया, इस यूनिट के प्रथम कमान अधिकारी थे विंग कमाण्डर र्इ आर फरनेनिडज और मिस्टीयर विमान इसकी शोभा थे, यूनिट का क्रैस्ट दर्शाता है हिमालय में पाए जाने वाले द्रुत गति से उड़ने वाले पक्षी ''शाहीन को जिसका अर्थ है ''सबका बादशाह। स्क्वाड्रन का ध्येय है - ''महा वैगश्य दृढ़वत यानि गति में तेज और इरादे में दृढ़।

गठित होने के नौ महिनों में ही स्क्वाड्रन पूर्णतया आपरेशनल हो गया और 1965 के भारत-पाक युद्ध में सर्वथा कार्यरत था। मार्च 1965 में आए ''वैम्पायर जहाजों से यूनिट ने पाकिस्तानी फौजों पर कहर ढा दिया। 1971 में सुखोर्इ-7 जहाजों से यूनिट ने अमृतसर बेस से पाकिस्तान के शौरकोट हवार्इ अडडे पर धावा बोला, इस युद्ध में थंडरबर्डस की क्षमता अपूर्व व अवर्णनीय है, अपने उल्लेखनीय कार्यो के लिए स्क्वाड्रन को 1 महावीर चक्र, 1 वीर चक्र बार, 3 वीर चक्र, 3 वायुसेना मेडल और 3 शौर्य चक्र मिला कर कुल 13 अवार्ड मिले।

मर्इ 1979 में थंडरबर्डस ने हिण्डन स्टेशन में डेरा डाला और नर्इ दिल्ली के हवार्इ रक्षण का कार्य निभाने लगे। 1984 में मिग-21 से लैस यूनिट राजस्थान सेक्टर में स्थापित हो गर्इ और दक्षता की अपनी पूर्ववत परम्परा को दृढ़ता से निभाती रही, अपनी कार्यदक्षता के कारण 32 स्क्वाड्रन को 1988-89 में भारतीय वायुसेना का सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू यूनिट का सम्मान प्रदान किया गया। एक बार फिर 2001-2002 में यूनिट दक्षिण पशिचम वायु कमान के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू यूनिट के अवार्ड से नवाजा गया। कारगिल युद्ध के दौरान स्क्वाड्रन ''हार्इ अलर्ट की सिथति में दुश्मन के हर वार के लिए पूरी तरह तैयार था और लगातार उड़ानों से अपनी सीमा की पहरेदारी करता रहा।

आज 32 स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना के सबसे आधुनिक वायुयान ''मिग-21 बाइसन से पूर्णत: सुसजिजत है जो नवीनतम नेवीगेशन प्रणाली, रेडार सिस्टम, इलेक्ट्रानिक युद्ध प्रणाली से लैस है और किसी भी मौसम में दिन-रात उड़ान भरने में सक्षम है। यह विमान उड़ान के दौरान सुदूर व निकट भेदी मिसाइलें, गाइडेड व अनगाइडेड बम, विभिन्न प्रकार के राकेट व गन भी साथ ले जाने में सक्षम है, इन सब गुणों के कारण यह विमान दुश्मनों को किसी भी दुस्साहस से पहले फिर सोचने पर विवश कर देता है। इस विमान व यूनिट ने विदेशों में भी संयुक्त युद्धाभ्यास के दौरान ख्याति व इज्जत प्राप्त की। इस वायुयान की क्षमता को अमेरिका के जनरल हार्नबर्ग ने इन शब्दों में व्यक्त किया - ''वेक अप काल और ''एन आर्इ ओपनर। 32 स्क्वाड्रन ''थंडरबर्डस हमारी हवार्इ सीमा के रक्षण में निरन्तर कार्यरत है - तेज व अडिग।








दो बाप के जुड़वां बच्चों को दिया जन्म

टेक्सास। ऎसा तो सुना और देखा भी होगा कि एक औरत ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है, लेकिन एक औरत ने सबको आश्चर्य में उस समय डाल दिया जब उसने दो बाप के दो जुड़वा बच्चों को एक साथ जन्म दिया। इसके अलावा ये दोनो जुड़वां बच्चे अलग-अलग नस्ल के थे।
यह दुनिया के लिए आख्श्चर्य वाली इस घटना की हकीकत तब सामने आई जब इन बच्चों को जन्म देने वाली महिला ने सारी बातों का खुलासा किया। लेकिन इसके द्वारा किए खुलासे से भी ऎसा संभव होना कई लोगों के गले नहीं उतरता। लेकिन डॉक्टरों ने इसें सही मानकर ऎसा संभव होना बताया।

दरअसल यह आश्चर्यजनक काम करने वाली महिला का नाम मिया वॉशिंगटन है तथा अमरीका के टेक्सास प्रांत की रहने वाली है। जब इसने दो अलग-अलग बाप के दो जुड़वां बेटों जो कि अलग-अलग नस्ल के थे, को जन्म दिया तब ये नजारा देख उसका पति ही नहीं बल्कि पूरा अस्पताल और जिसने भी यह खबर सुनी वो उसने दांतो तले उंगली दबा ली।

इस घटना के बारे में कोई कुछ नहीं बोल पाया लेकिन जब मिया वॉशिंगटन से पूछा गया तो उसने बताया कि वो पीरियड के बाद के 5 दिनों के भीतर उसके पति के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति के सम्पर्क में भी आई थी जिससे ऎसा हुआ। उसकी इस बात को डॉक्टरों ने भी सही बताते हुए कहा कि ऎसा हो सकता है लेकिन कभी-कभी।

शादी को तरस रही हजारों विधवाएं

क्या आपने कभी शादी के लिए महिलाओं के रैली निकाले जाने के बारे में सुना है। नहीं सुना तो अब सुन लीजिए। नाईजीरिया में आठ हजार विधवा महिलाओं ने रैली निकालकर शादी करने के लिए जमफारा राज्य सरकार से सहायता की मांग की है।
महिलाओं के एक ग्रुप ने गुसाउ शहर में रैली निकालकर राज्य की धार्मिक पुलिस को अपनी याचिका सौंपी। जमफारा राज्य में आंशिक रूप से इस्लामी कानून भी लागू है।

नाईजीरिया में शादी से जुड़ी कई ऎसी परंपराएं हैं जिनमें धन मांगा जाता है। यहां की परंपरा के अनुसार, महिलाओं को शादी में फर्नीचर लाना होता है लेकिन अपने लिए वर की तलाश कर रही कई महिलाएं खर्च वहन नहीं कर सकतीं। इसलिए इन्होंने रैली निकाकर सरकार से मदद मांगी है।

रैली में भाग लेने वाली महिलाओं का कहना है कि हममें से कई महिलाओं के लिए दो समय का खाना जुटाना भी मुश्किल है। हमें सहारा देने वाला कोई पुरूष नहीं है। ऎसे में हम इतना धन कहां से लाएं। इन महिलाओं की मांग पर जमफारा राज्य सरकार ने मांग पर विचार करने की बात कही है।

छिंदवाड़ा छात्रावास में चलता था सेक्स रैकेट!

छिंदवाड़ा छात्रावास में चलता था सेक्स रैकेट!

जयपुर। छात्रा के यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार वार्डन शिल्पी ने आसाराम और उसके करीबी लोगों के बारे में कई सनसनीखेज राज उगले हैं। वार्डन शिल्पी ने पुलिस की पूछताछ में कबूला कि आसाराम के छिंदवाड़ा छात्रावास में एक तरह से "सेक्स रैकेट" चलता था। छिंदवाड़ा छात्रावास से नाबालिग छात्राओं को आसाराम और उसके करीब लोगों के पास भेजा जाता था।

आसाराम और उसके आश्रम से जुड़े नामी-गिरामी लोगों के पास जाने के लिए शिल्पी ही छात्राओं को ब्रेन वॉश करती थी। जोधपुर कमिश्नरेट शिल्पी के बयानों की तस्दीक करने में जुटी हुई है। हालांकि पुलिस का कहना है कि छात्राओं के यौन शोषण के मामले में अन्य किसी पीडिता ने अभी कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है।

पुलिस का कहना है कि अन्य पीडिताओं की शिकायत मिलने पर आसाराम के करीबी लोगों को भी गिरफ्तार करने की कार्रवाई की जाएगी। जोधपुर कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ का कहना है कि पूछताछ में वार्डन शिल्पी ने कई चौंकाने वाली जानकारियां दी हैं। बयान की तस्दीक करवाई जा रही है। पुलिस छिंदवाड़ा छात्रावास की अन्य पीडिताओं से भी संपर्क करने का प्रयास कर रही है।

हवाई जहाज से भेजते थे छात्राएं
वार्डन शिल्पी ने बताया है कि छिंदवाड़ा छात्रावास से प्रत्येक सप्ताह आसाराम और उसके करीब लोगों के पास छात्राओं को भेजा जाता था। इनके आने-जाने के भाड़े का खर्चा भी आश्रम प्रशासन ही देता था। छात्रावास से छात्राओं को हवाई यात्रा से भी ठिकानों तक भेजा जाता था।

एक टीम भेजी छिंदवाड़ा
जोधपुर पुलिस कमिश्नर जोसफ ने बताया कि शिल्पी के बयान के आधार पर एक टीम को जांच के लिए मध्यप्रदेश स्थित छिंदवाड़ा छात्रावास में भेजा गया है।

30 साल बाद मिले बचपन के बिछड़े भाई-बहन



अमेरिका में एक दूसरे से बिछड़े भाई-बहन का 30 साल बाद आखिरकार मिलन हो ही गया. आपको बता दें कि दोनों एक ही राज्‍य की नेवी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन इस बात से अनजान थे कि वे बचन के बिछड़े हुए भाई-बहन हैं.

कमांडर सिंडे मुरे और उनके भाई चीफ एविएशन ऑर्डनेंसमैन रॉबर्ट विलियमसन 1970 में तब बिछड़ गए थे जब उनके माता-पिता ने अलग होने का फैसला ले लिया.

मूल रूप से डेनवेर के रहने वाले दोनों भाई-बहनों की परवरिश अलग-अलग हुई. लेकिन 30 साल बाद जब वे मिले तो उन्‍हें पता चला कि वे दोनों कैलिफोर्निया की नेवी के के लिए काम कर रहे थे.




दरअसल, शुक्रवार को सैन डियागो में नेवी के एक मेडिकल सेंटर में उनका मिलन हो गया. विलियमसन केवल 6 साल के थे जब उन्‍होंने आखिरी बार अपनी बहन को देखा था. जब उनके माता-पिता अलग हुए तो विलियमसन अपने पिता के साथ चले गए, जबकि 14 साल की मुरे अपनी मां के साथ रहने लगीं.

दोनों ने एक-दूसरे को ढूंढने की बहुत केाशिश की, लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली. दो महीने पहले मुरे ने अपने पिता को फोन किया तो उन्‍हें पता चला कि उनका भाई नेवी में चीफ है.



मुरे ने अपने भाई का नाम नेवी अधिकारियों को दिया और 15 मिनट के अंदर दोनों की फोन पर बात हो गई. इसके बाद वे अकसर ही एक-दूसरे से बात करने लगे और आखिरकार शुक्रवार को उनकी मुलाकात भी हो गई.


 

फैशन डिजाइनिंग की छात्रा से बलात्‍कार, आरोपी दोस्‍त गिरफ्तार



दक्षिण दिल्ली के सफदरजंग इलाके के एक होटल में कथित तौर पर 22 वर्षीय फैशन डिजाइनिंग छात्रा के साथ बलात्कार करने के आरोप में उसके इंजीनियर दोस्त को गिरफ्तार किया गया.
कब थमेंगे महिलाओं पर अत्‍याचार?
पुलिस ने बताया कि आरोपी वैभव जैन (27) को बीती रात करोलबाग स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया गया. पुलिस के अनुसार लड़की कथित तौर पर वैभव जैन के साथ शुक्रवार को नेहरू प्लेस गयी थी, जहां आरोपी ने उसे कोल्ड ड्रिंक में नशे की दवा मिलाकर पिला दी. आरोपी उसे होटल ले गया और उसके साथ बलात्कार किया.

पुलिस ने बताया, ‘मामला दर्ज करने और पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.’ आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.




चारा घोटाला केस में लालू समेत 45 आरोपी दोषी करार, 3 से 7 साल की हो सकती है सजा



बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाले के प्रमुख आरोपी लालू प्रसाद यादव से सीधे जुड़े चाईबासा कोषागार से फर्जी ढंग से 37.7 करोड़ रुपये निकालने के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. जज प्रभाष कुमार सिंह ने इस मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया है. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, सांसद जगदीश शर्मा और पूर्व सांसद आरके राणा समेत सभी 45 आरोपियों को भी दोषी ठहराया गया है.

उधर, लालू के बेटे तेजस्‍वी ने कहा, 'ये हमारे नेता के खिलाफ साजिश है. हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे. विरोधियों को चुनाव में जवाब देंगे, जनता की अदालत में जाएंगे.

फैसले के बाद लालू को कोर्ट में ही हिरासत में ले लिया गया था और फिलहाल उन्‍हें वैन में बैठाकर एक अपराधी की तरह बिरसा मुंडा जेल ले जाया जा रहा है. जब वे कोर्ट से बाहर निकले तो लालू के साथ उनका बेटा तेजस्‍वी भी था और वे चारों ओर से अपने समर्थकों से घिरे हुए थे. जज प्रभाष कुमार सिंह के आदेश के बावजूद उनके समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की. आपको बत दें कि जज ने साफ तौर पर कहा था कि नारेबाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी क्‍योंकि ऐसा करना कोर्ट की कार्यवाही में बाधा डालना है.

लालू समेत अन्य दोषियों को कितनी सजा होगी, इस पर मंगलवार को कोर्ट में बहस होगी और 3 अक्टूबर को सजा का ऐलान कर दिया जाएगा. लालू को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सजा सुनाई जाएगी.इस फैसले से लालू का राजनीतिक सफर पर विराम लग गया है. क्योंकि अब वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उनकी संसद सदस्यता खत्म हो सकती है. उन पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 437 ए और 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया था. भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत भी लालू पर केस दर्ज किया गया था.


950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले के इस मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने अपना फैसला 17 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 44 अन्य आरोपियों के भी भाग्य का फैसला हो गया है.


इससे पूर्व लालू प्रसाद अपने कुल देवताओं और बाबाओं का आशीर्वाद लेते हुए फैसला सुनने के लिए अपने लाव लश्कर के साथ रविवार शाम पटना से विमान के जरिए रांची पहुंचे. उनका छोटा बेटा तेजस्वी उनके साथ था. लालू फैसले को लेकर तनाव के चलते रविवार शाम से सोमवार सुबह तक पूरी तरह शांत दिखाई दिए.




चारा घोटाले में कुल 64 केस, जिसमें से 5 लालू पर
1996 में सामने आए चारा घोटाले के कुल 64 केस में से लालू यादव पर 5 केस चल रहे हैं. इनमें से 4 केस की सुनवाई रांची की सीबीआई अदालत में ही चल रही है. फरवरी 2002 से शरू हुए केस के ट्रायल में 19 अक्टूबर 2012 से अंतिम बहस शुरू हुई. इस साल 17 सितंबर को दोनों तरफ की बहस पूरी हो गई. सीबीआई के विशेष जज पी के सिंह ने फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर की तारीख मुकर्रर की थी.


लालू का 'टोटका'


बिहार की राजनीति में लालू यादव
बिहार पर 15 साल तक शासन करने के बाद लालू आज एक हारे हुए सेनापति की तरह जरूर हैं लेकिन बिहार की जमीन जिस राजनीति को पैदा करती है, लालू आज भी उसके लिए अहम खाद हैं.

सत्ता के समीकरण और वोट बैंक पॉलिटिक्स में लालू आज भी बहुत अहम हैं. भले ही बिहार की कुर्सी उनसे छिन गई हो पर वोट प्रतिशत की बात करें तो लगता है कि अब भी वो जनता की पसंद हैं.

जाहिर है अगर लालू चारा घोटाले के केस में दोषी करार हो गए तो विरोधियों के लिए खासकर नीतीश कुमार के लिए जैसे बैठे-बिठाए हाथों में लड्डू मिल जाने जैसा हो जाएगा.

पिछले दिनों जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन टूटा है, साफ हो गया है कि लालू को तो इसका फायदा मिलेगा ही. ऐसे में चारा घोटाले का फैसला लालू के वोट बैंक की सियासत को भी असर कर सकता है. विरोधी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएंगे और लालू जेल में रहकर उसका जवाब भी नहीं दे पाएंगे.

बीजेपी ने तो अभी से हल्लाबोल दिया है और दागी नेताओं को बचानेवाले अध्यादेश के बहाने कांग्रेस पर भी कीचड़ उछाला है. बड़ी बात तो ये है कि आज के फैसले के बाद भले ही लालू राजनीति ना कर पाएं लेकिन उन्हें लेकर राजनीति फिर भी चलती रहेगी.


 

देखिये विभिन घूँघट की तस्वीरें घूंघट की परंपरा कब से और क्यों?






















घूंघट भारतीय परंपरा में अनुशासन और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। घर की बहुओं को परिवार के बड़ों के आगे घूंघट निकालना होता है, ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह अनिवार्य है ही साथ ही कई महानगरीय परिवारों में भी ऐसा चलन है। सवाल यह है कि भारतीय परंपरा में घूंघट कब और कैसे आया? क्या सनातन समय से यह परंपरा चली आ रही है या फिर कालांतर में यह प्रचलन बढ़ा है?वास्तव में घूंघट हिंदुस्तान पर आक्रमण करने वाले आक्रमणकारियों की ही देन है। पहले राज्यों में आपसी लड़ाइयां और फिर मुगलों का हमला।
इन दो कारणों ने भारत में पूजनीय दर्जा पाने वाले महिला वर्ग को पर्दे के पीछे कर दिया। भारतीय महिलाओं की सुंदरता से प्रभावित आक्रमणकारी अत्याचारी होते जा रहे थे। महिलाओं के साथ बलात्कार और अपहरण की घटनाएं बढऩे लगीं तो महिलाओं की सुंदरता को छिपाने के लिए घूंघट का इजाद हो गया। पहले यह आक्रमणकारियों से बचने के लिए था, फिर परिवार में बड़ों के सम्मान के लिए और धीरे से इसने अनिवार्यता का रूप धारण कर लिया। आक्रमणकारी चले गए, देश आजाद हो गया लेकिन महिलाओं के चेहरों पर पर्दा अब भी कायम है।

सदियों पहले समुद्र से निकला था यह चमत्कारी पेड़, छूकर अप्सराएं मिटाती थीं थकान




हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं में देव-दानवों द्वारा किया गया समुद्र मंथन का प्रसंग खासतौर पर सागर से निकले अद्भुत व बेशकीमती खजाने यानी दिव्य रत्नों, प्राणियों व देवताओं के अलावा खासतौर पर भगवान विष्णु द्वारा देवताओं को अमृत पान कराने के लिए जाना जाता है। दरअसल, हजारों सालों से यह प्रसंग केवल धार्मिक नजरिए से ही नहीं बल्कि इसमें समाए जीवन को साधने वाले सूत्रों के लिए भी अहमियत रखता है।

आज भी कई धर्म परंपराएं इसी प्रसंग से जुड़े कई पहलुओं के इर्द-गिर्द ही घूमती हैं। महाकुंभ में उमड़ता जलसैलाब हो या धन कामना के लिए लक्ष्मी पूजा, सभी के सूत्र समुद्र की गहराई से निकले इन अनमोल रत्नों व उनमें समाए प्रतीकात्मक ज्ञान से जुड़े हैं।

आप इस प्रसंग को धार्मिक रीति-रिवाजों या अन्य किसी जरिए से सुनते हैं, लेकिन कई लोग खासतौर पर युवा पीढ़ी समुद्र मंथन की वजह, उससे निकली बेशकीमती रत्नों व उनकी अनूठी खूबियों और इस घटना से जुड़ी कई रोचक बातों से अनजाह है।

यहीं नहीं, इस दौरान भगवान विष्णु के मोहिनी यानी सुंदरी रूप पर, कामदेव को मात देने वाले भगवान शिव का मोहित होने का पूरा प्रसंग भी बहुत कम लोगों को ही मालूम हैं।

विष्णु पुराण के मुताबिक एक बार ऋषि दुर्वासा वैकुंठ लोक से आ रहे थे। रास्ते में उन्होंने ऐरावत हाथी पर बैठे इन्द्र को त्रिलोकपति समझ कमल फूल की माला भेंट की। किंतु वैभव में डूबे इन्द्र ने अहंकार में वह माला ऐरावत के सिर पर फेंक दी। हाथी ने उस माला को पैरों तले कुचल दिया।
दुर्वासा ऋषि ने इसे स्वयं के साथ कमल फूलों पर बैठने वाली कमला यानी लक्ष्मी का भी अपमान माना और इन्द्र को श्रीहीन होने का शाप दिया। पौराणिक मान्यता यह भी है कि इससे इन्द्र दरिद्र हो गया। उसका सारा वैभव गिरकर समुद्र में समा गया। दैत्यों ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।
स्वर्ग का राज्य और वैभव फिर से पाने के लिए भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन करने और उससे निकलने वाले अमृत को खुद देवताओं को पिला अमर बनाने का रास्ता सुझाया। साथ ही कहा कि यह काम दैत्यों को भी मनाकर ही करना संभव होगा।
इन्द्रदेव ने इसी नीति के साथ दैत्य राज बलि को समुद्र में समाए अद्भुत रत्नों व साधनों को पाने के लिए समुद्र मंथन के लिए तैयार किया।


देव-दानवों ने समुद्र मंथन के लिए मंदराचल पर्वत का मथनी और वासुकि नाग को रस्सा (नेति या सूत्र) बनाया। स्वयं भगवान ने कच्छप अवतार लेकर मंदराचल को डुबने से बचाया। असल में, व्यावहारिक नजरिए से इस घटना से जुड़े प्रतीकात्मक सबक हैं। मसलन, संसार समुद्र हैं, इसमें मंदराचल पर्वत की तरह मन को स्थिर करने के लिए कछुए रूपी भगवान की भक्ति का सहारे वासुकि नाग के प्रेम रूपी सूत्र से जीवन का मंथन करें। इस तरह इससे निकला ज्ञान रूपी अमृत पीने वाला ही अमर हो जाता है।

हलाहल (विष) - समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले मंदराचल व कच्छप की पीठ की रगड़ से समुद्र में आग लगी और भयानक कालकूट जहर निकला। सभी देव-दानव और जगत में अफरा-तफरी मच गई। कालों के काल शिव ने इस विष को गले में उतारा और नीलकंठ बने।
असल में, इसमें भी छुपा संकेत है। शिव के सिर पर गंगा ज्ञान का ही प्रतीक है यानी जो ज्ञानी होता है, उसमें जीवन के सारे क्लेशों का सामना करने व बाहर निकलने की शक्ति होती है। यही नहीं, इसमें दूसरों के सुख के लिए जीने की भी प्रेरणा हैं।

कामधेनु - कामधेनु की सबसे बड़ी खासियत उपयोगी यज्ञ सामग्री देना थी। ब्रह्मलोक तक पहुंचाने वाली जरूरी चीजें जैसे दूध, घी पाने के लिए ऋषियों को दान की गई। ऋषियों को दान के पीछे यही सीख है कि मेहनत से कमाई धन-दौलत का पहले भलाई में उपयोग करें और संतोष रखें। कामधेनु संतोष का प्रती के है।



उच्चै:श्रवा घोड़ा - समुद्र मंथन से अश्वजाति में श्रेष्ठ, चन्द्रमा की तरह सफेद व चमकीला, मजबूत कद-काठी का दिव्य घोड़ा उच्चै:श्रवा प्रकट हुआ, जो दैत्यों के हिस्से गया और इसे दैत्यराज बलि ने ले लिया।
उच्चै:श्रवा में श्रवा का मतलब ख्याति या कीर्ति भी है। यानी जो मन का स्थिर रख काम करे वह मान व पैसा भी कमाता है। किंतु जो केवल कीर्ति के पीछे भागे उसे फल यानी अमृत नहीं मिलता। दैत्यों के साथ भी ऐसा ही हुआ।



ऐरावत हाथी - चार दांतों वाला अद्भुत हाथी, जिसके दिव्य रूप व डील-डौल के आगे कैलाश पर्वत की महिमा भी कुछ भी नहीं। स्कन्दपुराण के मुताबिक ऐरावत के सिर से मद बह रहा था और उसके साथ 64 और सफेद हाथी भी मंथन से निकले। ऐरावत को देवराज ने प्राप्त किया।
असल में हाथी की आंखे छोटी होती है। इसलिए ऐरावत, पैनी नजर या गहरी सोच का प्रतीक है। संकेत है कि शरीर सुख ही नहीं आत्मा की और भी ध्यान दें।


कौस्तुभ मणि - सभी रत्नों के सबसे श्रेष्ठ व अद्भुत रत्न। इसकी चमक सूर्य के समान होकर त्रिलोक को प्रकाशित करने वाली थी। देवताओं को मिला यह रत्न भगवान विष्णु के स्वरूप अजीत ने अपनी हृदयस्थल पर धारण करने के लिए प्राप्त किया।

कल्पवृक्ष - स्वर्गलोक की शोभा माने जाने वाला कल्पवृक्ष। इसकी खासियत यह थी कि मांगने वालें को उसकी इच्छा के मुताबिक चीजें देकर हर इच्छा पूरी करता है

कोर्ट परिसर में किन्नरों की शर्मनाक हरकत, देखने वालों ने फेरी आंखें!

इंदौर। जिला अदालत में गुरुवार को वारंट पर हाजिर हुए किन्नरों के आपसी विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि अदालत परिसर में एक घंटे तक अराजकता फैली रही। किन्नरों में आपसी मारपीट और संघर्ष होता रहा। नारेबाजी और ताली ठोंकने की आवाज से परिसर गूंजता रहा। बाद में अदालत के आदेश पर पुलिस ने 27 किन्नरों को गिरफ्तार किया, जिन्हें बाद में जेल भेज दिया गया। बार एसोसिएशन ने अदालत परिसर की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग की है। संयोगितागंज इलाके में कुछ माह पहले किन्नरों में विवाद हुआ था। विवाद के बाद दो पक्षों के चार-चार आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने केस कायम किया था।

PICS : कोर्ट परिसर में किन्नरों की शर्मनाक हरकत, देखने वालों ने फेरी आंखें!

मामला यह है कि संयोगितागंज इलाके में कुछ माह पहले किन्नरों में विवाद हुआ था। इस पर दोनों पक्षों के चार-चार आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने केस कायम किया था। फरार होने पर कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया था। गुरुवार को दोनों पक्षों के चार चार किन्नर मुख्य दंडाधिकारी विवेकसिंह रघुवंशी की अदालत में हाजिर हुए थे। दोनों पक्षों के साथ उनके सौ-सौ किन्नर समर्थक भी थे।
PICS : कोर्ट परिसर में किन्नरों की शर्मनाक हरकत, देखने वालों ने फेरी आंखें!