गुरुवार, 30 मई 2013

अटल चुनावी नैया के अभी भी खेवनहार!

अटल चुनावी नैया के अभी भी खेवनहार!
ग्वालियर। प्रदेश कार्य समिति और भाजपा के महाधिवेशन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी बेशक सशरीर न हीं हों, लेकिन कार्यक्रम स्थल पर छाया चित्र के रूप में उनकी उपस्थिति बेहद सशक्त दिखाई देगी।

दरअसल पार्टी वाजपेयी की उदार और सॉफ्ट छवि भुनाना चाहती है। कार्यक्रम स्थल पर लगाई प्रदर्शनी में भाजपा के पित्र पुरूष्ा दीनदयाल उपाध्याय और अन्य के मुकाबले अटल बिहारी वाजपेयी के छायाचित्र कहीं अधिक हैं। उनके पारिवारिक और राजनीतिक जीवन के छाया चित्र बेहद सजीव हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री बाजपेयी की फोटो प्रदर्शनी के बारे में विचार आश्चर्यजनक ढंग से संघीय पृष्टभूमि से आया है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा की संस्थापक सदस्यों में एक राजमाता विजयाराजे सिंधिया और भाजपा के पित्र पुरूष्ा कुशाभाऊ ठाकरे के फोटो अपवाद ही हैं।

जानकारों के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री की कर्म भूमि ग्वालियर में हो रहे पार्टी के महाधिवेशन में उनकी ना-मौजूदगी जरूर खलने वाली है।

सरकार से जुड़े जानकारों के मुताबिक महाधिवेशन के बहाने सूबे की राजनीति में तीसरी बार पार्टी का झंडा बुलंद करने के लिए शिवराज को अटल जी आवश्यकता बन गए लगते हैं।

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