गुरुवार, 31 जनवरी 2013

जवानों को तनाव से छुटकारे का नया तरीका

जवानों को तनाव से छुटकारे का नया तरीका

बाड़मेर। सीमा सुरक्षा बल के बेड़े में जवानों के आत्महत्याओं के ग्राफ में हो रही बढ़ोतरी रोकने के मकसद से नया तरीका इजाद किया गया है। बीएसएफ ने स्वयंसेवी संगठन बी फ्रेण्डर्स इण्टरनेशनल से सम्बद्ध आत्महत्या निवारण केन्द्रों का सहारा लेना शुरू किया है।

ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एण्ड डवलपमेण्ट (बीपीआर एण्ड डी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले आठ साल में ढाई सौ से ज्यादा जवानों ने अपनी इहलीला समाप्त कर ली। इस रिपोर्ट में जवानों की ओर से की जा रही आत्महत्याओं के कारणों का भी खुलासा किया गया है। जवानों के बीच किए गए सर्वे और विभिन्न हादसों की जांच रिपोर्ट के आधार पर बीपीआर एण्ड डी की इस रिपोर्ट में आत्महत्या करने के दो सबसे बड़े कारण बताए गए है। इनमें पहला यह बताया गया है कि 77 फीसदी जवान कठिन ड्यटी के कारण पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं। सर्वे के अनुसार रिपोर्ट में बताया गया है कि जवान दिन में केवल चार घंटे ही नींद ले पाते है। रिपोर्ट में दूसरा सबसे बड़ा कारण जवानों को सीसुब बेडे की ओर से मिलने वाली सुविधाओं में कमी और उच्चस्थ अधिकारियों का उपेक्षा पूर्ण व्यवहार व भाषा है।

लिसनिंग थैरेपी से समाधान
बीएसएफ ने जवानों के मानसिक तनाव दूर करने के लिए बी फे्रण्ड्स इण्टरनेशनल की मदद ली है। बीएसएफ की कमोबेश हर सीमा चौकी पर बी फ्रेण्ड्स इण्टरनेशनल द्वारा संचालित आत्महत्या निवारण केन्द्रों के अलग-अलग दूरभाष नम्बर अंकित किए है। प्रत्येक सीमा चौकी पर नई दिल्ली,अहमदाबाद, कोलकाता व मुम्बई शहरों में संचालित केन्द्रों के दूरभाष नम्बर लिखे है। इन केन्द्रों पर कॉल करने वाले प्रत्येक जवान का नाम व पहचान गुप्त रखी जाती है। कॉल के अलावा कोई कार्मिक इन केन्द्रों पर जाकर व्यक्तिगत रूप से भी अपनी समस्या बताकर समाधान करवा सकता है।

हम समाधान के तरीके बताते हैं
आत्महत्या निवारण केन्द्रों पर फोन करके अथवा सीधे पहुंचकर समस्याएं बताने वाले सुरक्षा एजेन्सियों के कार्मिकों को हम समाधान के तरीके बताते है। हमारे यहां भावनात्मक रूप से सुनवाई होती है और समाधान के तरीके बताए जाते हैं। इससे मानसिक मजबूती बढ़ती है।
घनश्याम
वालिण्टियर, बी फ्रेण्डर्स इन्टरनेशनल, अहमदाबाद

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