शनिवार, 28 अप्रैल 2012

पुलिस अधिकारी तो शेर जैसे होने चाहिए, शेरों के लिए सीमाएं नहीं होती : हाईकोर्ट

अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने थैलसीमिया मेजर बच्चों को एचआईवी संक्रमण होने के मामले की जांच अधिकारी को कड़ी फटकार लगाते हुए तफ्तीश पूरी करने का आदेश दिया है। 

हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि 23 बच्चों की जिंदगी से संबंधित केस के जिम्मेदार लोगों की तलाश का चुनौतीपूर्ण काम कितने अधिकारियों को मिलता है? प्रमोशन तो फिर आ सकता है। राष्ट्र-मानवहित में काम करने का मौका बार-बार नहीं मिलता। इसलिए जांच अधिकारी को अपनी कार्यक्षमता-दक्षता दर्शाते हुए काबिलियत साबित करनी चाहिए।


कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश भास्कर भट्टाचार्य एवं जेबी पारडीवाला की पीठ ने यह टिप्पणी की। साथ ही राज्य शासन को निर्देश दिया कि वह जांच अधिकारी शोभा भूतडा को अमरेली के एसपी पद के कार्यभार से फिलहात मुक्त रखे ताकि वे एचआईवी कांड की जांच कर सकें। शोभा की अनुपस्थिति में वहां के डीएसपी को इंचार्ज बनाने का हुक्म देते हुए अदालत ने सरकार को शुक्रवार को ही इस आशय की अधिसूचना जारी करने की ताकीद की।



पीठ ने यह भी कहा कि भारी लापरवाही से भरे इस केस में डेढ़ महीने से पुलिस अधिकारी शोभा भूतडा जांच कर रही हैं। वे केस की हकीकत, दस्तावेज, जानकारी, मटीरियल्स आदि से वाकिफ हैं। ऐसे हालात में एक से अधिक जांच अधिकारी का केस की तफ्तीश में जुडऩा सही नहीं लगता।



पीठ ने यह टिप्पणी भी कि पुलिस अधिकारी तो शेर जैसे होने चाहिए। जैसे जूनागढ़-अमरेली जैसी सीमाएं शेरों के लिए नहीं होती, ऐसा ही पुलिस के लिए भी नहीं होना चाहिए।

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