शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

मिस्त्र में पति अपनी मृत पत्नी के साथ कर सकेगा सेक्स!

मिस्त्र में पति अपनी मृत पत्नी के साथ कर सकेगा सेक्स! 

काहिरा.मिस्र में पतियों को जल्द ही क़ानूनी तौर पर उनके मृत पत्नियों के साथ सेक्स करने की इजाजत होगी-उनकी मौत के बाद छह घंटे तक के लिए।



यह विवादास्पद नया कानून उन उपायों का एक हिस्सा है जिसे इस्लामी-बहुल संसद द्वारा शुरू किया जा रहा है। नए कानून में शादी की न्यूनतम उम्र को घटाकर 14 किया जाएगा और महिलाओं को मिलने वाले शिक्षा और रोजगार के अधिकारों को खत्म किया जाएगा।






मिस्त्र की संसद द्वारा इन उपायों की घोषणा किए जाने लोगों में आक्रोश फूट पड़ा है।




महिलाओं के लिए मिस्र का राष्ट्रीय परिषद इन बदलावों के खिलाफ अभियान चला रहा है। उनका कहना है कि महिलाओं की स्थिति को दरकिनार और कम किए जाने का नकारात्मक प्रभाव देश के मानव विकास पर पड़ेगा करेगा।



राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख डॉ.मरवत अल- तलवी ने मिस्र के विधानसभा अध्यक्ष डॉ.साद अल-कतातनी को पत्र लिखकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया है।



मिस्र के पत्रकार एमरो अब्दुल समेया ने अल अहरम अखबार में लिखा है कि तलवी ने इन कानूनों के बारे में शिकायत कि है जिसे 'कथित मजहबी व्याख्याओं' के तहत पेश किया जा रहा है।



गौरतलब है कि पति द्वारा अपनी मृत पत्नी के साथ सेक्स किए जाने का मामला मई 2011 में उस वक़्त उठा था जब मोरक्कन मौलवी ज़म्ज़मी अब्दुल बारी ने कहा था कि शादी मृत्यु के बाद भी मान्य रहता है।



alarabiya.net के मुताबिक उन्होंने यह भी कहा था कि महिलाओं को भी अपने मृत पति के साथ सेक्स करने का अधिकार है।



ऐसा लगता है कि जिस विषय से लोगों में आक्रोश फूट पड़ा है उसे अब मिस्र के नेताओं द्वारा चुन लिया गया है।



टीवी एंकर जाबेर अल-क़र्मौटी ने तथाकथित 'विदाई संभोग' मसौदा कानून के तहत एक पति द्वारा अपनी पत्नी की मौत के बाद सेक्स किए जाने की अनुमति दिए जाने की धारणा की खिंचाई की।



उन्होंने कहा: 'यह बहुत गंभीर है। क्या पैनल जो मिस्र के संविधान का मसौदा तैयार करेगी संभवतः इस तरह के मुद्दों पर चर्चा करेगी? क्या अब्दुल समेया ने अपनी आंखों से तलवी द्वारा कतातनी को भेजे गए संदेश के टेक्स्ट को देखा था?'



उन्होंने कहा 'यह अविश्वसनीय है। पति को इस तरह के अधिकार देना एक तबाही है! क्या इस्लामी प्रवृत्ति इतनी दूर तक पहुंच चुका है? क्या इस सम्बन्ध में सचमुच कोई मसौदा कानून तैयार किया गया है? क्या ये लोग इस तरह से सोच रहे हैं?'

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