शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

आईपीएस पत्नी का 3 साल में 7 बार तबादला पति का 8 बार!

राजस्थान पुलिस ट्रेनिंग सेंटर (आरपीटीसी) जोधपुर के एडीजी पद पर महज 7 घंटे तक रहने वाले रामफल सिंह अकेले आईपीएस अफसर नहीं हैं जो ‘तबादला सरकार’ के फैसलों से प्रभावित हुए हैं। राज्यपाल के एडीसी राघवेंद्र सुहासा भी जोधपुर में केवल 5 दिन के एसपी रह चुके हैं। आईपीएस पत्नी ममता विश्नोई का तीन साल के भीतर सात बार तबादला हुआ है तो उनके पति आईपीएस राहुल मनहर्दन बारहठ इसी अवधि में आठ बार इधर-उधर हुए हैं। उधर विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार हो रहे तबादलों में राजनीति बड़ा कारण है।  
सरकार ने तीन साल के कार्यकाल में अफसरों को कई बार इधर-उधर किया है। ममता विश्नोई तीन माह एएसपी जयपुर, एक माह एएसपी जयपुर ग्रामीण, छह माह जयपुर दक्षिण, दो दिन तक एपीओ, फिर एक माह दुबारा एएसपी जयपुर ग्रामीण, बाद में छह माह एएसपी जयपुर दक्षिण, चार दिन के लिए एएसपी एसओजी, फिर पांच माह तक एसओजी में एसपी रहीं। उन्हें पिछले साल मई में जैसलमेर एसपी का पदभार सौंपा गया।

इसी तरह उनके पति बारां एसपी राहुल मनहर्दन बारहठ का इन सालों में आठ बार ट्रांसफर हो चुका है। पहले तीन माह सांगानेर एएसपी, फिर दो दिन एपीओ रख कर सात माह के लिए दुबारा सांगानेर एएसपी लगाया। फिर पंद्रह दिन के लिए एटीएस में एएसपी और बाद में यहीं पर पांच माह के लिए एसपी लगाया। बाद में एक साल जालोर एसपी भी लगाया। इस सरकार में अमनदीप कपूर भी पांच बार इधर-उधर हुए, इस दौरान उन्हें डीसीपी जयपुर के बाद बांसवाड़ा और करौली का एसपी लगाया गया। डॉ. रवि भी अब तक चार जगह स्थानांतरित हो चुके हैं।

फैक्ट फाइल

162 आईपीएस

21 राज्य से बाहर

5 प्रशिक्षु आईपीएस

4 आईपीएस निलंबित

3 जने जेल में


‘सरकार’ के ‘सारथी’

बीएल सोनी: पांच साल सीबीआई में रहने के बाद 2009 में उन्हें जयपुर रेंज आई बनाया। जनवरी 2011 से अब तक पुलिस कमिश्नर जयपुर हैं।

भूपेंद्र कुमार दक: सरकार बदली तब कोटा रेंज आईजी थे। जनवरी 2011 तक जोधपुर रेंज आईजी रहे। अब तक जोधपुर पुलिस कमिश्नर हैं।

बिपिन कुमार पांडे्य: करीब चार साल तक चार जिलों चूरू, जयपुर ग्रामीण, अजमेर और चित्तौड़गढ़ के एसपी रहे। अब डीआईजी बने।

संतोष चालके: एक बार भी फील्ड पोस्टिंग से बाहर नहीं रहे। पहले उन्हें सीकर व बाड़मेर एसपी लगाया। अब अलवर एसपी हैं।

नवज्योति गोगोई: तीन साल पहले वे हनुमानगढ़ एसपी थे। इस सरकार ने बाड़मेर व भरतपुर एसपी लगाया। मई 11 से जोधपुर ग्रामीण एसपी हैं।

डीएस चूड़ावत: सरकार बदलने के बाद उन्हें पीएचक्यू से निकाल कर डूंगरपुर और बूंदी एसपी लगाया। अब वे बांसवाड़ा के एसपी हैं।

केबी वंदना: करीब डेढ़ साल टोंक एसपी रहीं। पांच माह के लिए फील्ड से दूर रहीं। मई 11 में दुबारा बारां एसपी लगाया। अब पाली एसपी है।

विकास कुमार: इस सरकार ने उन्हें एक बार भी जिले से दूर नहीं किया।चार सालों में वे सवाईमाधोपुर, सीकर, चित्तौड़गढ़ और भरतपुर के एसपी लगे।

गौरव श्रीवास्तव: करीब दो साल झालावाड़ एसपी रहे। ५ महीनों के लिए एसपी सीआईडी सीबी रहे। मई 11 से अब तक सीकर के एसपी हैं।

उमेश दत्ता: सवा साल श्रीगंगानगर एसपी रहे। सरकार बदलने के बाद भी एसपी पद पर बरकरार रखा। अप्रैल 10 से अब तक वे भीलवाड़ा एसपी हैं।

नितिनदीप: सीकर एसपी से रामसमंद एसपी लगाया। वहां करीब ढाई साल रहे। अब उन्हें डीसीपी जोधपुर के पद पर लगाया गया है।

ओमप्रकाश: लगभग ढाई साल तक बारां एसपी रह चुके हैं। फिर एक साल करौली एसपी लगाया गया। अभी वे चूरू एसपी हैं।

तबादलों का राजनीतिकरण हो गया

अंग्रेजों के जमाने में और हमारे समय तक तबादला नीति ठीक चलती थी। यानि 2 साल से कम अवधि में किसी को हटाया नहीं जाता था और 3 साल से ज्यादा किसी को रखा नहीं जाता था। मगर अब तबादलों का राजनीतिकरण हो गया है। कुछ अच्छे अफसर हैं जिन्हें राजनेता छोड़ना नहीं चाहते और कई ऐसे अफसर हैं जो खुद राजनीति में फंसे हुए हैं। वे अच्छे पदों के लिए राजनेताओं से सिफारिश करवाते रहते हैं। कुल मिला कर बार-बार इधर-उधर करने से मनोबल टूटता है और प्रशासन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।

21 आईपीएस प्रदेश के बाहर

प्रशाखा माथुर, मालिनी अग्रवाल, संजय अग्रवाल, राजेश आर्य, एवी शुक्ला, राजीव कुमार, रवि मेहरड़ा, एनआरके रेड्डी, नंदकिशोर, ओमप्रकाश गलहोत्रा, पंकज कुमार, पी रामजी, एके मिश्रा, बिनिता ठाकुर, हेमंत प्रियदर्शी, एस. सेंगाथिर, सत्य प्रियासिंह, सुधीर प्रतापसिंह, सुष्मित बिस्वास, विजय कुमार सिंह, विपुल चतुर्वेदी।

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