शनिवार, 31 मार्च 2012

84 की उम्र में जुर्म, 93 साल में सजा, और 100 वर्ष में रिहाई

ऊना। कोडीनार तहसील के वलादर में रहने वाले एक 84 वर्षीय वृद्ध ने 9 वर्ष पहले एसटी के कंडक्टर को सौ रुपए का नोट दिया था। लेकिन यह यह नोट नकली था। इसलिए बस कंडक्टर ने वृद्ध के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया था। लगभग 9 सालों तक विचाराधीन इस मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए वृद्ध को 7 वर्ष की कैद की सजा सुनाई है। वृद्ध की इस समय उम्र 93 वर्ष है। 

पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोडीनार तहसील के वलादर में रहने वाले हमीर रूखड चुडासमा नामक वृद्ध गत 10.3.2003 को ऊना-वलादर रूट की बस में ऊना से वलादर जाने के लिए बैठा था। जब बस कंडक्टर ने हमीर से किराया मांगा तो हमीर ने उसे 100 रुपए का नोट दिया। बस कंडक्टर ने देखा कि सौ रुपए के नोट का रंग कुछ अजीब सा है और उसमें चांदी का तार भी नहीं है। कंडक्टर ने हमीर को यह नोट वापस कर दिया और दूसरे नोट की मांग की। लेकिन हमीर ने कंडक्टर से कहा कि उसके पास बस यही एक नोट है।


इसके बाद कंडक्टर ने गिरगढडा पुलिस स्टेशन में हमीर के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी थी। एफएसएल द्वारा नोट की जांच के बाद नोट के नकली होने की बात सामने आई और मामला एडिशनल सेशंस कोर्ट में पहुंचा। सरकारी वकील की दलील थी...‘यह जानते हुए भी कि यह नोट नकली है, हमीर ने उसे अपने पास रखा और उसे चलाने की कोशिश की। इसलिए यह मामला बहुत गंभीर हो जाता है, जिसके लिए हमीर को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए।’ लगभग 9 सालों तक विचाराधीन इस मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए 93 वर्षीय हमीर को 7 वर्ष की कैद और 3 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।

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