मंगलवार, 29 नवंबर 2011

किसी बड़े हादसे के इन्तेजार में है मुरादाबाद संभागीय परिवहन विभाग

किसी बड़े हादसे के इन्तेजार में है मुरादाबाद संभागीय परिवहन विभाग


Imran Zaheer

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश : इतनी बड़ी लापरवाही को अंजाम देने के बाद भी शायद किसी बड़े हादसे के इन्तेजार में है संभागीय परिवहन विभाग 17 फर्जी वाहनों के पंजीकरण करने के बाद भी नहीं चेता विभाग और अब तक नहीं की कोई भी उचित कार्यवाही| परिवहन विभाग के ए.आर.टी.ओ. से इस संवाददाता के पूछने पर की इतनी बड़ी लापरवाही के बाद क्या कार्यवाही की गई तो उनका जवाब ही उनकी कार्यप्रणाली पर संदेह खड़ा करता है| उनका कहना था की सही मायने में हमने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है लेकिन हम शीघ्र ही इस पर कार्यवाही करेंगे| अपने कार्यालय के कार्यों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा की पूरे दिन काम का लोड और कर्मचारियों की कमी से बहुत दिक्कते आ रही है जिसके फलस्वरूप हमने इस सन्दर्भ में कोई भी उचित कारवाही नहीं की है लेकिन हम अगली कार्यवाही यथाशीघ्र करेंगे| उनके मातहतो की माने तो इस सन्दर्भ में गलत पते पर वाहनों का पंजीकरण कराने वालो से फ़ोन पर संपर्क साधा गया था कुछ नंबर तो बंद मिले लेकिन जिन नम्बरों पर बात हो सकी उन्हें विभाग में बुला कर साक्ष्यो को दिखाने के लिये कहा गया लेकिन उनके पास उसी पते का वोटर आई कार्ड होने के कारण उन्हें जाने दिया गया और इनके ही द्वारा इस सन्दर्भ में निर्वाचन विभाग को पत्र लिख कर अवगत कराने की बात भी कही गई है | इसे विभाग की दयादृष्टि कहे या मिलीभगत की जब विभाग को पता था की उक्त वाहनों को गलत तरीके से पंजीकृत कराया गया है तो उन पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई ?



बता दें की मुरादाबाद जनपद के लाजपत नगर निवासी उमेश भारती पुत्र स्व. सुरेन्दर वर्मा अपने परिवार और अपनी माता श्रीमती कुसुम वर्मा के साथ मकान संख्या बी-790 लाजपत नगर में रहते हैं। उन्हें कहीं से पता चला कि उनके मकान के पते पर किसी ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवा रखा है जिसके बाद उनकी माता कुसुम वर्मा ने विभाग से जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत कुछ सूचनायें मांगी थी, जिस में पूछा गया था कि उनके मकान के पते पर अब तक कितने ड्राइविंग लाइसेंस बनाये गये हैं तथा कितने वाहनों को पंजीकृत किया जा चुका है. इसके बाद विभाग की तरफ से मिली सूचना चौंकाने वाली थी। मांगी गई सूचना के प्रथम कालम में विभाग ने अब तक इस पते पर जारी किये गये ड्राइविंग लाइसेंस की कोई भी सूचना ये कह कर देने पाने में असमर्थता जाता दी कि "लाइसेंस सम्बन्धी समस्त कार्य डाटाबेस पर नहीं है और लाखों की संख्या में ड्राइविंग लाइसेंस बने हैं, जिसे रजिस्टर में ढूँढ पाना मुश्किल है। दूसरे कालम में एक ड्राइविंग लाइसेंस संख्या 38136 /MBD /2009 के बारे में बताया गया कि पते के प्रमाण में पासपोर्ट की छाया प्रति के आधार पर बनाया गया है, जिस पर पते के रूप में लाजपत नगर नियर पुलिस चौकी, अपोजिट हमजा मस्जिद अंकित है। उसके बाद भी विभाग ने इस ड्राइविंग लाइसेंस पर बी-790 क्यों अंकित किया ये एक बड़ा सवाल है। वहीं विभाग द्वारा दी गई सूचना भी कम संदेह खड़ा नहीं करती, क्यों कि विभाग ने अपने तर्क में ये भी कहा है कि शिक्षार्थी ड्राइविंग लाइसेंस पर बी-790 अंकित किया गया था इसलिए चालक लाइसेंस पर भी वही अंकित किया गया है। ये तर्क विभाग को सवालों के घेरे में खड़ा कर देता है कि जब पासपोर्ट में कहीं भी बी-790 अंकित नहीं था तो किस आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस में अंकित किया गया है।

विभाग द्वारा मांगी गई सूचना में सबसे चौंकाने वाले तथ्य ये रहे कि बी-790 लाजपत नगर के पते पर कुल 18 लोगों के वाहन पंजीकृत कर दिए गये हैं, जिस में 17 लोगों का उस पते से कोई भी सरोकार नहीं है। विभाग की इस भारी चूक से इनकी कार्य प्रणाली पर कई सवालिया निशान खड़े होते हैं कि वाहनों के पंजीकरण में इतनी बड़ी लापरवाही हुई कैसे या ऐसा जान बूझ कर किया गया है। इस सन्दर्भ में बी-790 लाजपत नगर की वास्तविक मकान स्वामिनी कुसुम वर्मा ने विभाग को एक पत्र लिख कर अवगत कराया था कि उन 17 लोगों से उनका कोई सम्बंध नहीं और ना ही कभी रहा है। पत्र में श्रीमती वर्मा ने आगे लिखा है कि केवल उमेश भारती वाहन संख्या: UP-21P-3815 उनके पुत्र हैं, जबकि उन 17 लोगों से उनका कोई सम्बंध नहीं है। उन्होंने विभाग से अनुरोध किया है कि जिन लोगों ने उनके घर के पते का उपयोग कर फर्जी ढंग से अपने लाइसेंस एवं वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराया है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर उनका पंजीकरण निरस्त किया जाये। कुसुम वर्मा के इस अनुरोध पर विभाग द्वारा उन सभी 18 लोगों को एक नोटिस जारी कर कार्यालय में आ कर अपना स्पष्टीकरण और साक्ष्यों को प्रस्तुत करने के लिये कहा गया था। विभाग ने भी दर्ज रिकार्ड के मुताबिक एक साथ एक ही पते "बी-790 लाजपत नगर, मुरादाबाद" पर पूरे 18 अलग-अलग लोगों को नोटिस दे मारी, जिसके बाद उस मकान के वास्तविक मालिक उमेश भारती ने एक साथ इतनी नोटिस देख सकते में पड़ गये और अपनी नोटिस को प्राप्त कर बाकी सभी नोटिस को वापस करने के साथ विभाग को अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत कर बाकी लोगों को फर्जी ढंग से वाहन पंजीकृत कराने पर कार्रवाई की मांग की थी |

इस संवाददाता ने 28 नवम्बर को मुरादाबाद संभागीय परिवहन विभाग के कार्यालय का दौरा किया और इस सन्दर्भ में की गई कार्यवाही के बारे जानकारी मांगी गई तो वहाँ कार्यालय में मौजूद ए.आर.टी.ओ. गणेश कुमार श्रीवास्तव का संदेहहास्पद जवाब ही उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है| लेकिन यहाँ कहना होगा की आखिर विभाग अब तक किसी भी कार्यवाही के लिये बाध्य क्यों नहीं हुआ | कही इसके पीछे भी कोई और राज तो नहीं कही विभाग अपनी कमी छिपाने का प्रयास तो नहीं करता रहा| वहीँ दूसरी तरफ ए.आर.टी.ओ. के अनुसार उन 17 लोगो को अखबार के माध्यम से नोटिस जारी कर सूचित किया जायेगा अगर इसके बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती तो उन पर अन्य तरीको से शिकंजा कसा जायेगा | लेकिन ए.आर.टी.ओ. के इस कथन पर गौर किया जाये तो आश्चर्य होता है कि जब कुछ ऐसे वाहन मालिको से फ़ोन से संपर्क कर उन्हें कार्यालय में बुलाया गया तो उन पर कोई उचित कार्यवाही क्यों नहीं कि गई |

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