शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

बाजरे की उन्नत किस्म करेगी निहाल

बाजरे की उन्नत किस्म करेगी निहाल

बाड़मेर। जोरदार बरसात के बाद बाजरे की बम्पर पैदावार की उम्मीद ने जहां किसानों को खुशी से सरोबार कर दिया है, वहीं जिन किसानों ने उन्नत किस्म के बाजरे की बुवाई की है, उनकी खुशियां सातवें आसमान पर है। कृषि विभाग ने करीब 47 हजार हेक्टेयर में उन्नत किस्म के बाजरे की बुवाई करवाई, वहीं किसानों ने अपने स्तर पर भी हजारों हेक्टेयर में बाजरा बोया।

जिले भर में इस बार करीब 16.5 लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बुवाई हुई, जिसमें बाजरा, ग्वार, मूंग, मोठ व तिल की पैदावार शामिल है। भरपूर बरसात होने के कारण खेतों में खड़ी खरीफ की फसल पूर्ण यौवन के साथ लहलहा रही है। शुरूआती दौर में बोई गई बाजरे की फसल के सिट्टे में दाना पक गया है और नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन दूज को शुभ दिवस मानते हुए किसानों ने सिट्टे की कटाई भी शुरू कर दी है। शुरूआती बुवाई वाले किसानों को बाजरे से दो-दो सिट्टों की आस है। लिहाजा सिट्टे की कटाई जल्दी ही शुरू कर दी गई है।

इस बार खेतों में एक-एक फीट का सिट्टा सामान्य बात है। जबकि साधारण किस्म के बीज से आधा फीट का सिट्टा भी पर्याप्त माना जाता है। इस बार आधे फीट से कम का सिट्टा कहीं नजर ही नहीं आ रहा है। हालांकि अभी तक सर्वत्र पर्याप्त दाना नहीं पड़ा है, लेकिन जिस गति से दाना पड़ रहा है, उससे यह साफ हो गया है कि बम्पर पैदावार होगी ही होगी।

कृषि विभाग बाड़मेर ने इस वर्ष उन्नत किस्म बीज एच एस बी-67 किसानों को वितरित किया, जिसकी लगभग सैंतालीस हजार हेक्टेयर में बुवाई की गई। इस बीज की खासियत यह है कि सिट्टा करीब दो फीट तक पहुंच जाता है। जो आम तौर पर होने वाले सिट्टे से तीन गुणा अधिक लम्बा है। इसके अलावा किसानों ने अपने स्तर पर बाजार से खरीदकर हजारों हेक्टेयर में उन्नत किस्म का बाजरा बोया है, जो बम्पर पैदावार में सहायक होगा।

शुष्क मौसम की जरूरत
अब बरसात की जरूरत नहीं है। मौसम जितना शुष्क रहेगा, खरीफ की फसल के उतना ही लाभदायक रहेगा। फिलहाल जो मौसम है, वह अच्छा है। शुष्क मौसम खरीफ की फसल की अभिवृद्धि में सहायक रहेगा। -पदमसिंह भाटी, सहायक कृçष्ा

अधिकारी बम्पर पैदावार की उम्मीद
इस बार बाजरे की बम्पर पैदावार की उम्मीद है। लक्ष्य से करीब सोलह प्रतिशत अधिक बुवाई हुई है। उन्नत किस्म का बाजरा बम्पर पैदावार में अहम भूमिका निभाएगा। -बनवारीलाल चौधरी, सहायक निदेशक, कृषि विभाग बाड़मेर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें