शनिवार, 23 जुलाई 2011

बहुओं ने सासू की अर्थी को कंधा दिया और बेटियों ने मुखाग्नि


सिरसा. 
ये तस्वीर बदलनी चाहिए, शायद इसी जज्बे के साथ परमार्थ कालोनी के एक परिवार की बहुओं ने सासू की अर्थी को कंधा दिया और बेटियों ने मुखाग्नि। कालोनी में रहने वाली 75 साल की गन्नो देवी का शुक्रवार तड़के देहांत हुआ था। सुबह जब उनकी शवयात्रा श्मशान घाट की ओर बढ़ी तो पूरी कालोनी के लोग अचंभित थे।
गन्नो देवी के एक बेटा होने के बावजूद मुखाग्नि उनकी दोनों बेटियों ने ही दी। बेगू रोड पर बसी परमार्थ कालोनी में रहने वाले डेरा प्रेमी रमेश इंसां की मां 75 वर्षीय गन्नो देवी कई दिन से बीमार थीं। शुक्रवार तड़के उनका देहांत हो गया।
गन्नो देवी की बेटियों अंगूरी देवी और संतोष देवी के साथ उनके बड़े बेटे वीरभान की विधवा रामो देवी और छोटे बेटे रमेश की बहू संतोष अर्थी को कंधा दे रहीं थीं। शव यात्रा श्मशान घाट पहुंचने पर गन्नो देवी की दोनों बेटियों अंगूरी और संतोष ने ही मुखाग्नि दी। इस बारे में अंगूरी और संतोष देवी ने कहा कि माता-पिता के जनाजे को कंधा बेटियां क्यों नहीं दे सकतीं। इसी अवधारणा को तोड़ने के लिए हमने ऐसा किया।

1 टिप्पणी:

  1. माँ बेटे बेटिओं को अपनी मृत्यु से लड़ कर संतान को जीवन देती हैं उनमे पालकर अच्छे संस्कार भी
    बेटे बेटी दोनों बराबर
    (बेटी और बहुओं को आशीर्वाद

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