गुरुवार, 28 जुलाई 2011

आतंकियों से मुकाबला करते शहीद हो गया जोधपुर का 'लाल'

जोधपुर। जोधपुर के करवड़ गांव निवासी नायब सूबेदार लालसिंह खींची बुधवार सुबह कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में आतंकियों से मुकाबला करते शहीद हो गए। 57 राष्ट्रीय राइफल के खींची का शव शुक्रवार सुबह जोधपुर लाया जाएगा, जहां उनका राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाएगा। कुपवाड़ा सेक्टर में बुधवार सुबह आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान सीने में गोली लगने पर लालसिंह को मिल्रिटी अस्पताल ले जाया गया। वहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।

यूनिट के सूबेदार मेजर कमलेश सिंह ने दोपहर दो बजे लालसिंह के भाई भीमसिंह खींची को फोन पर उनके शहीद होने की सूचना दी। वर्ष 1966 में जन्मे लालसिंह चौपासनी स्कूल में बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद बीस साल पूर्व सेना में भर्ती हुए थे। कमांडो का विशेष प्रशिक्षण हासिल करने की वजह से वे करीब 18 साल जम्मू-कश्मीर में ही तैनात रहे। उनका शव गुरुवार को दिल्ली और वहां से शुक्रवार को जोधपुर लाया जाएगा।

पहले भी झेली थी गोली

लालसिंह की कश्मीर में कई बार आतंकियों से मुठभेड़ हो चुकी थी। पांच साल पूर्व मुठभेड़ के दौरान पेट व आंत में दो गोलियां लगी थी, लेकिन उनकी जान बच गई थी। उनकी इस वीरता के लिए उन्हें सेना मेडल भी दिया गया था। मौत को नजदीक से देखने के बावजूद लालसिंह का हौसला कम नहीं हुआ था और वे आतंकियों से मुकाबला करने में सबसे आगे रहते थे।

भाई को सुनाए थे पिछली मुठभेड़ के किस्से

लालसिंह छह महीने पूर्व घर आए थे। पांच दिन पूर्व ही अपने भाई भीम सिंह से फोन पर घर के हाल-चाल जानने के बाद आतंकियों से हुई पिछली मुठभेड़ के किस्से भी सुनाए थे। बुधवार को जब उनके शहीद होने की सूचना मिली तो भीम सिंह को एकबारगी विश्वास ही नहीं हुआ।

मां व पत्नी को गोली लगने की सूचना दी

लालसिंह के शहीद होने की सूचना मिलते ही करवड़ गांव व उनके रिश्तेदारों में शोक की लहर फैल गई। उनका पार्थिव शरीर शुक्रवार को जोधपुर पहुंचेगा। उनकी मां व पत्नी ओमकंवर को उनके शहीद होने की सूचना की बजाय गोली लगने की सूचना ही दी गई। ओमकंवर अपने एक बेटे व बेटी के साथ जोधपुर में रहती हैं। दोपहर में लालसिंह के घायल होने की सूचना देकर उन्हें करवड़ गांव बुला लिया गया।

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