गुरुवार, 7 जुलाई 2011

भारत का पर्यटन राजस्थान के बिना अधूरा.......डॉ.ललित के.पंवार

बाड़मेर भारत का पर्यटन राजस्थान के बिना अधूरा है। जिले का पर्यटन मानचित्र पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। स्विजरलैंड के जेनेवा शहर में 4 से 14 अगस्त तक आयोजित होने वाले जेनेवा फेस्टिवल में इस बार भारत प्रतिनिघित्व करेगा। इसमें बाड़मेर के लोक कलाकारों को विश्व स्तर अपनी कला का प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा।
 भारतीय पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक डॉ.ललित के.पंवार ने बुधवार को डाक बंगले मे पत्रकार वार्ता मे यह बात कही। उन्होंने कहा कि पर्यटन में राजस्थान देश का सिरमौर है। बाड़मेर जिला अब दुनिया के नक्शे पर आ चुका है। यहां के पर्यटन को बढ़ावा मिलें। इसके लिए प्रयास जारी है। किसी जमाने में मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा समूचे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान रखता था।
इस मेले में जर्मनी व फ्रांस के पर्यटक घोड़ों की खरीद के लिए आते थे। अब यह मेला अपने अतीत को खो रहा है। मेले को बढ़ावा देने के लिए इसे पर्यटन से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा यहां के विख्यात जैन तीर्थ नाकोड़ा, ऎतिहासिक सनातनी तीर्थ भगवान रणछोड़राय, ब्रह्मा मंदिर आसोतरा, माता राणी भटियाणी मंदिर जसोल, भीमगोड़ा को पर्यटन से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। जेनेवा फेस्टिवल में राजस्थान के अस्सी कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।
 इसमें लंगा मागणियार, कालबेलिया, कच्ची घोड़ी कलाकार के अलावा बालोतरा धाबू प्रिंट के यासीन छीपा फेस्टिवल मे धाबू प्रिंट की कला से विदेशियो को अवगत करवाएंगें। डेजर्ट टे्रडिशनल आर्ट एण्ड यूथ सेंटर जैसी संस्थाएं लोक संस्कृति व लोक कला की विरासत को जिंदा रखे हुए हैं

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें