शनिवार, 30 जुलाई 2011

जैसलमेर में नहीं रूक रहा बेटियों को मारने का सिलसिला !


जैसलमेर। पूरे देश में लड़कियों की गिरती संख्या से भी लोग सीख नहीं ले रहे हैं और बच्चियों को मारने का सिलसिला रूक नहीं रहा है, ताजा वाकया जैसलमेर के देवीकोट का है। जहां पिछले दिनों जनमी दो बच्चियों की रहस्यम परिस्थितयों में मौत हो गई। ये दोनों बच्चियां देवीकोट स्वास्थ्य केंद्र में जन्मी थी। रूटीन जांच में जब यहां की एएनएम ने जांच की तो पता चला कि दो बच्चियों की मौत हो चुकी है। जबकि ये दोनों सव्स्थ जनमी थीं। एक बच्ची की मौत का कारण मां द्वारा दूध न पिलाया जाना बताया जा रहा है।


बेटियों को न जनमने देने के लिए जैसलमेर हमेशा से ही बदनाम रहा है। यहां पर कई गांव तो ऐसे हैं जहां सदियों से बेटियां नहीं जन्मी हैं। किसी घर में यदि बच्ची पैदा भी हो जाए तो नवजात को ही मार दिया जाता है। हालांकि पिछले कुछ सालों में यहां स्थिति सुधरी थी और बच्चियां पैदा होने लगी थीं। लेकिन एक सप्ताह में ऐसी दो घटनाओं ने प्रशासन को चिंता में डाल दिया है।


जिले के सीतोड़ाई व छोड़ के दो परिवारों में जन्मी इन बालिकाओं को जानबूझ कर मौत के हवाले किए जाने का संदेह जताया जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से एक बच्ची को उसकी मां ने दूध ही नहीं पिलाया। कलेक्टर एमपी स्वामी ने एसडीएम को मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं। देवीकोट स्वास्थ्य केंद्र में हुए दो महिलाओं के प्रसव के बाद एएनएम की पहली जांच के दौरान दोनों बालिकाएं मृत पाई गई। देवीकोट स्वास्थ्य केंद्र में सीतोड़ाई की एक महिला ने 23 जुलाई को और छोड़ की एक अन्य महिला ने 25 जुलाई को कन्याओं को जन्म दिया था। प्रसव के बाद 48 घंटे के भीतर किए गए एएनएम के फालोअप में पता चला कि दोनों ही बालिकाओं की मौत हो चुकी है। एएनएम व चिकित्सा प्रभारी के अनुसार छोड़ में हुई मौत का कारण बालिका को दूध नहीं पिलाना बताया गया वहीं सीतोड़ाई वाले मामले का खुलासा नहीं हो पाया है। कुछ माह पूर्व जिले के देवड़ा गांव में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था।

सामाजिक संस्थाएं जानती हैं सच
यहां काम कर रही कई सामाजिक संस्थाएं व एनजीओज इस सच से वाकिफ हैं और कन्या हत्या को रोकने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। सीमांत किसान शोध संस्थान के कार्यकर्ता लखतदास देथा के अनुसार जैसलमेर के कुछ इलाकों में आज भी बच्चियां मारी जा रही हैं। मैने और मेरे संगठन ने विरोध किया तो मुझ पर दो बार जानलेवा हमला तक किया गया।

जैसलमेर में 1000 पुरुषों पर हैं 849 महिलाएं
जनगणना-2011 के आंकड़ों के अनुसार जहां पूरे देश में 1000 पुरुषों पर 940 महिलाएं हैं, वहीं जैसलमेंर में यह केवल 849 है। यह स्थिति चिंताजनक है, अगर लड़कियों की संख्या इसी गति से गिरती गई तो यहां भी शादी के लिए लड़कियां दूसरे राज्यों से लानी होंगी।

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