गुरुवार, 28 जुलाई 2011

करोड़ों का बजट, लाखों के पौधे, मात्र ५१ हजार रोपे


करोड़ों का बजट, लाखों के पौधे, मात्र ५१ हजार रोपे
हरित राजस्थान कार्यक्रम विफल साबित हुआ, अब तक महज पंद्रह फीसदी पौधे लगाए, गत वर्षों में लगाए पौधे संरक्षण के अभाव में दम तोड़ दिए 

बाड़मेर
 

रेत के धोरों पर हरियाली की ख्वाहिश दशकों बाद भी पूरी नहीं हो पाई। हरित राजस्थान कार्यक्रम से पहले रोपे गए आधे से अधिक पौधे सूख गए। दूसरी ओर बारिश के बाद ग्राम पंचायत स्तर पर पौधरोपण अभियान में कोई तेजी नहीं दिख रही। जिले में कुल 3 लाख 20 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन अब तक महज 51 हजार पौधे ही रोपे गए हैं।

हरित राजस्थान कार्यक्रम के तहत जिले की प्रत्येक पंचायत समिति क्षेत्र में 40-40 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया। मनरेगा योजना के तहत पौधरोपण के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत कर रखा है।
 

ग्राम पंचायतों को वन विभाग की नर्सरियों से पौधे खरीदकर सरकारी, गोचर भूमि पर सघन पौधरोपण करना प्रस्तावित है। मानसून की पहली बारिश के बाद महज पंद्रह फीसदी पौधरोपण हो पाया है। पौधरोपण में कहीं पर पंचायतें रुचि नहीं दिखा रही तो कहीं मानसून की बेरुखी आड़े आ रही है। पौधरोपण के आंकड़ों पर गौर करें तो पंचायत समिति बालोतरा, चौहटन व सिणधरी को छोड़ दें तो एक भी पंचायत समिति दो हजार के आंकड़े को पार नहीं कर पाई है। जबकि प्रत्येक पंचायत समिति का लक्ष्य 40 हजार पौधे लगाना है।
 

रोपे पचास, पनपे पांच
 

पिछले साल हरित राजस्थान कार्यक्रम के तहत करीब दो लाख पौधे लगाए गए। वहीं वर्ष 2009 10 में 1 लाख 8 हजार 976 पौधे लगाए गए। प्रशासन ने पौधों के संरक्षण की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायतों को सौंप दी। इस दौरान आधे से अधिक पौधे तो कुछ ही दिनों में नष्ट हो गए। वहीं देखभाल के अभाव में करीब पच्चीस फीसदी पौधे बर्बाद हो गए। इसके बाद महज पच्चीस फीसदी पौधे ही जिंदा रहे।

क्या है हकीकत..
 

प्रशासन ने गत वर्ष हरित राजस्थान कार्यक्रम के तहत करीब दो लाख पौधे लगाए। इस दौरान एक पौधे पर 256 रुपए खर्च किए गए। इन्हें पांच साल तक जिंदा रखना था। इसमें से 46 हजार पौधे पहले साल ही बर्बाद हो गए। इनके संरक्षण पर खर्च किए गए 1 करोड़ 17 लाख 76 हजार रुपए बेकार चले गए।
 

पंचायतों से होगी वसूली
 

पिछले वर्षों में रोपे गए पौधे नष्ट होने पर प्रशासन संबंधित ग्राम पंचायतों को जिम्मेदार मानते हुए पेनल्टी वसूलेगा। संरक्षण के अभाव में नष्ट हुए पौधों के स्थान पर नए पौधे रोपित करने के साथ देखभाल करनी होगी। साथ ही आगामी पांच साल तक पौधे जिंदा रखना अनिवार्य है। इसमें लापरवाही बरतने पर ग्राम पंचायतों से पौधों की लागत राशि वसूली जाएगी।

जिम्मेदार ही बेखबर

हरित राजस्थान कार्यक्रम से पौधरोपण से संबंधी सूचनाएं जुटाने की जिम्मेदारी जिला परिषद को सौंप रखी है। इस शाखा के कार्मिक अब तक किए गए पौधरोपण के आंकड़ों से ही अंजान हैं। जबकि लक्ष्य निर्धारण व लगाए गए पौधों से संबंधित फीड बैक लेने का कार्य इसी विभाग का है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें