शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

कम उम्र में ब्याही बच्ची ने पढ़ाई के लिए की बगावत




बूंदी।

 13 साल की सुमन कंवर, पढ़ना चाहती है। बढ़ना चाहती है। मगर, आड़े आ गई दुनियादारी। बड़े परिवार वाले पिता की जिम्मेदारी ने कम उम्र में हाथ पीले करवा दिए। फिर भी मासूम मन नहीं माना। ससुराल से लौटी तो कदम वापस स्कूल की तरफ बढ़ चले। अपनों ने फिर विरोध किया। मारपीट तक बात आई, लेकिन इच्छाएं नहीं दबी। आखिर बाल मन ने बगावत कर दी। मदद की आस उसे प्रिंसिपल के पास ले गई। प्रशासन ने भी आगे बढ़कर जिम्मेदारी ली। अब सुमन अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखेगी। सुमन के पिता छोटू सिंह ने भी उसकी पढ़ाई पर सहमति दे दी।
घटना बूंदी जिले में हिंडौली तहसील के गांव दबलाना की है। यहां की बेटी ने इतनी बड़ी हिम्मत दिखा मिसाल पेश की है कि बेटियों को पढ़ने दें। वह वहां के मिडिल स्कूल में ८वीं की छात्रा थी। पिता छोटूसिंह गांव में ही चाय की दुकान चलाते हैं। सात भाई-बहनों में वह पांचवें नंबर की है। मई में ही इस नाबालिग की गांव में हुए सामूहिक विवाह सम्मेलन में शादी कर दी गई थी। पति बना 25 वर्षीय दुगारी का युवक। सर्व शिक्षा अभियान के अति. जिला परियोजना समन्वयक हमीदुल हक ने कहा कि सुमन को अभी तो हमने एडॉप्ट कर लिया है। ८वीं तक इसकी शिक्षा आवासीय व पूरी तरह निशुल्क रहेगी। 12वीं तक पढ़ाई नि:शुल्क मिलेगी।
सुमन शुरू से ही अपनी इस शादी के खिलाफ थी। ससुराल भी नहीं जाना चाहती थी, लेकिन उसे जाना पड़ा। पीहर आने के बाद वह वापस पढ़ने स्कूल जाने लगी। वह आगे आठवीं व फिर इससे भी ऊंची शिक्षा हासिल करना चाहती थी, लेकिन पिता उसकी इस इच्छा के बेहद खिलाफ थे। हालात यह थे कि वह जब स्कूल से लौटती तो वे उसकी बुरी तरह पिटाई करते थे। परेशान होकर उसने एक कड़ा फैसला लिया। 19 जुलाई की सुबह वह स्कूल तो गई, लेकिन घर नहीं लौटी। वह बस में बैठी और बूंदी आ गई। यहां वह परेशान हाल बड़ी मुश्किल से लुहार गली में रहने वाली उसकी शाला प्रधान श्रीमती कमला गौड़ का घर पूछते हुए पहुंची। वहां उसकी हालत देख सब असमंजस में पड़ गए। पूछा तब उसने स्कूल जाने पर पिता के द्वारा की जाने वाली मारपीट के बारे में बताया।
साथ ही कहा कि वह किसी भी हालत में आगे पढ़ना चाहती है। ऐसा नहीं हुआ तो वह आत्महत्या तक कर लेगी। इस पर कमलेश गौड़ व उनके रिटायर्ड एएसआई पति मोहनलाल शर्मा ने उसका साथ देने की ठान ली। वे सुमन को लेकर कलेक्ट्रेट में गए। कलेक्टर के अवकाश पर होने से एडीएम देवानंद माथुर के पास पहुंचे। वहां उस बालिका ने आपबीती सुना आगे पढ़ने की इच्छा दोहराई। इस पर एडीएम ने उन्हें सर्वशिक्षा अभियान के एडीपीसी हमीदुल हक के पास भेज दिया। हक ने तुरंत सुमन का एडमिशन कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय छात्रावास, माटूंदा गांव में करवा दिया। यहां फिलहाल कक्षा आठ तक वह पूरी तरह निशुल्क अध्ययन कर सकेगी। उसमें इसका सभी तरह का खर्च शामिल रहेगा।
आखिर मान गए पिता
जानकारी मिलने पर सुमन के पिता छोटूसिंह, ताऊ कजोड़सिंह गांव के कुछ गणमान्य लोगों को लेकर बूंदी हैडमास्टर कमला गौड़ के घर पहुंचे। यहां ताऊ कजोड़सिंह ने उसे आगे पढ़ाने की सहमति दे दी। इस दौरान बेहद भावुक नजर आ रहे थे। भारी मन से जाते हुए ताऊ व उसके पिता ने उसे कुछ रुपए भी दिए।
काम तो अच्छा है पर गांव वालों का डर
हैडमास्टर कमला गौड़ तो इस मामले पर बात करने से ही घबरा रहीं थीं। उनका कहना था कि काम तो अच्छा किया है, लेकिन ग्रामीणों को पता चला तो वे सभी विरोध में हो जाएंगे। वहीं उनके पति मोहनलाल बेखौफ होकर पत्नी हौसला बढ़ाते नजर आए।
अभी पता नहीं आगे क्या बनूंगी
सुमन ने दबी-दबी जुबान से कहा कि बस मैं तो आगे पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं। एक सवाल के जवाब में कहा कि, पता नहीं क्या बनूंगी।
आटे-साटे रिवाज से हुई थी शादी
सुमन की शादी जिस युवक से की गई, उसकी बहन का विवाह भी उसी विवाह सम्मेलन में सुमन के बड़े भाई के साथ किया गया था।
प्रशासन पर सवाल
सुमन के नाबालिग होते हुए भी दबलाना में मई माह में हुए सामूहिक विवाह सम्मेलन में उसकी शादी हुई, जबकि प्रशासन पूरी सजगता का दावा करता रहा।
हमीदुल हक, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान ने कहा कि सुमन को अभी तो हमने एडॉप्ट कर लिया है। आठवीं तक इसकी शिक्षा आवासीय व पूरी तरह निशुल्क रहेगी। इसके बाद बूंदी में ही नए वर्ष से शुरू होने जा रहे राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के बालिका छात्रावास में भर्ती करा दिया जाएगा। वहां 12 वीं कक्षा तक इसी प्रकार निशुल्क शिक्षा मिलेगी।

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