शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

नहीं रहे ध्रुपद के उस्ताद फहीमुद्दीन डागर

Fahimuddin-Dagar.jpg
नई दिल्ली।। प्रख्यात ध्रुपद गायक उस्ताद रहीम फहीमुद्दीन डागर का लम्बी बीमारी के बाद बुधवार रात निधन हो गया। उनके निधन के साथ ही भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक स्वर्णिम आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई है। उन्हें प्रख्यात मुगल संगीतकार तानसेन के गुरु का वंशज कहा जाता था। वह 84 साल के थे।

डागर का एक निजी अस्पताल में लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया। देश के सबसे प्राचीन संगीत घरानों के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है। ध्रुपद के डागर घराने ने युवाओं को भी इस गायन शैली की ओर खूब आकर्षित किया है।

डागर को 23 अप्रैल को लकवा मारने के बाद अस्पताल में दाखिल कराया गया था।

वह डागर वाणी ध्रुपद संगीत विद्यालय के वरिष्ठ गुरु थे। उन्होंने छह दशकों से भी लम्बे समय तक दुनिया भर में यादगार प्रस्तुतियां देकर ध्रुपद की ऐतिहासिक विरासत को जीवित बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डागर के परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटी हैं।

उन्हें 2008 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था, 2010 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी रत्न पुरस्कार मिला। उनका जन्म 1927 में राजस्थान के अलवर में हुआ था।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें