मंगलवार, 28 जून 2011

सेटेलाईट नक्शे बने विवाद का कारण अवैध रूप से जारी हो रहे हैं खातेदारी सेटेलाईट नक्शे


सेटेलाईट नक्शे बने विवाद का कारण

अवैध रूप से जारी हो रहे हैं खातेदारी सेटेलाईट नक्शे


एक नक्शे के नाम पर वसूले जा रहे हैं हजार से पन्द्रह सौ रूपये

बाड़मेर।
पश्चिमी सरहद पर बसे बाड़मेर जिले में इन दिनों सेटेलाईट से जारी हो रहे अवैध खातेदारी नक्शे खातेदारों के बीच विवाद का कारण बने हुए हैं। हालात यह हैं कि बिना जिला प्रशासन की स्वीकृति से जारी हो रहे इन सेटेलाईट नक्शों के नाम पर मोटी रकम खातेदारों से इन दिनों एक व्यक्ति द्वारा वसूल की जा रही हैं। इससे भी चौकाने वाली बात तो यह हैं कि इस अवैध कारोबार पर रोक लगाने की बजाए स्वयं पटवारी एवं आरआई तक इन्हीं नक्शों को सही मानते हुए खातेदारों की जमीनों की सीमा का निर्धारण कर रहे हैं, जबकि गुगल अर्थ सेटेलाईट से जारी हो रहे यह नक्शे किसी भी सुरत में अधिमान्य नहीं हैं।
जानकारी के मुताबिक बाड़मेर जिले में सेटलमेंट के टाईम से आवंटित जमीन को पिछले कई महिनों से सेटेलाईट नक्शों के जरिये चुनौती दी जा रही हैं। इतना ही नहीं इन नए सेटेलाईट नक्शों ने सेटलमेट के टाईम दी गई जमीनों की सीमा को ही उल्ट करके रख दिया हैं। इसके कारण खातेदारों में इन दिनों जमीनों के विवाद यकायक बढ़ गए हैं। जिले में बहुतायत मात्रा में मिले खनिज भण्डार एवं पेट्रोलियम पदार्थो के कारण बढ़ी जमीनों की कीमतों के कारण एक-एक इंच जमीन के मायने बदल गए हैं।
बिना स्वीकृति जारी हो रहे हैं सेटेलाईट नक्शे....
बाड़मेर जिले में इन दिनों शहर के सिणधरी चौराहे के पास एक व्यक्ति के द्वारा व्यक्ति द्वारा दुकान लगाकर सेटेलाईट के जरिये जमीनी नक्शे जारी कर खातेदारों को दिये जा रहे हैं। इसके एवज में एक खातेदार को उसके खसरे की प्रतिलिपि प्रिंट आउट देने के लिए करीब एक हजार से 1500 रूपये वसूले जा रहे हैं। जबकि इस कार्य के लिए उसके द्वारा ना तो किसी तरह की स्वीकृति ली गई हैं और ना ही जिला प्रशासन द्वारा उन्हें इसके लिए अधिकृत किया गया हैं। बावजुद इसके पिछले कई महिनों से चल रहे इस गौरखधंधे के जरिये दुकान मालिक द्वारा अच्छा-खासा पैसा बटोर लिया गया हैं। लेकिन बिना किसी प्रमाणिकता के जारी किए जा रहे इन नक्शों में सेटलमेंट के टाईम से आवंटित जमीन और वर्तमान नक्शे में बड़े पैमाने में विविधता आ गई हैं। इसके कारण जमीनी सीमा को लेकर खातेदारों के बीच विवाद पैदा हो रहे हैं। जबकि कानूनी रूप से इस सेटेलाईट नक्शों को किसी तरह से वैद्य नहीं माना गया हैं। 
क्या हैं नियम...
जानकारों के मुताबिक बाड़मेर जिले में सेटेलाईट के जरिये जमीनी नक्शे जारी करने के लिए कोई भी फर्म या व्यक्ति अधिकृत नहीं हैं। जबकि इसके लिए जिला कलेक्टर की स्वीकृति के बाद स्वयं जिला कलेक्टर तहसीलदार या नायब तहसीलदार स्तर के किसी सेवानिवृत अधिकारी अधिकारी को इस कार्य के लिए अधिकृत कर सकता है। लेकिन वर्तमान में इस तरह की स्वीकृति जिला प्रशासन द्वारा किसी को भी नहीं दी गई हैं। इससे भी गंभीर बात तो यह हैं कि सेटेलाईट से जारी इन नक्शो को कानूनी रूप से अदालत में मान्यता नहीं हैं। ऐसे में अगर कोई खातेदार इस नक्शे के आधार पर कोई दावा भी करता हैं तो अदालत इस दावे को पहले ही चरण में खारिज कर देती हैं।
क्या हैं गड़बड़झाला....
बाड़मेर जिले में तेजी से बढ़ी जमीनों की कीमतो के कारण इन दिनों हर कोई खातेदार अपनी जमीन का सीमाज्ञान कराने में जुटा हुआ हैं। इसके लिए वह पटवारी से जब संपर्क करता हैं तो पटवारी द्वारा उसे उक्त सिणधरी चौराहे पर स्थित दुकान पर भेज दिया जाता हैं और वहां से सेटेलाईट नक्शे की प्रति लाने के लिए कहा जाता हैं। सूत्रों के मुताबिक इस कार्य में दुकानदार एवं पटवारी के बीच कुछ कमीशन भी तय हैं। इसके बाद सेटेलाईट से जारी बिना प्रमाणिकता के इन नक्शो को पटवारी एवं आरआई ग्रामीणों की अज्ञानता का फायदा उठाकर उनकी जमीनों की सीमा में परिवर्तन होने की बात बताकर उनकी जमीन का काफी हिस्सा दूसरे खातेदार के हिस्से में चले जाने एवं ओवरलिपिंग होने की बात कहकर उन्हें डरा देता हैं और बाद में बड़ी रकम खातेदार से वसूल लेता हैं। लेकिन काश्तकार अपनी अज्ञानता के कारण इस नक्शे की प्रमाणिकता का पता किए बिना ही अपने पड़ोसी खातेदारों से अपनी जमीन को लेकर लड़ रहे हैं जिसके कारण जिले का सौहादपूर्ण वातावरण खराब हो रहा हैं। वहीं इस सेटेलाईट नक्शे की आड़ में भूमाफिया लोग पटवारी एवं आरआई से मिलीभगत कर जमीनों में हेराफेरी करने में जुटे हुए हैं।
क्या कहते हैं उपखण्ड अधिकारी...
इस संबंध में बाड़मेर उपखण्ड अधिकारी सी.आर देवासी से बात करने पर उन्होंने कहा कि सेटेलाईट से जारी किए जा रहे यह खातेदारी नक्शे किसी तरह से भी मान्य नहीं हैं। हमारी जानकारी में भी इस तरह के प्रकरण आए हैं और इसके बाद हमारी ओर से सभी तहसीलदारों एवं पटवारियों को यह निर्देश जारी किए गए हैं कि वह इन सेटेलाईट नक्शों को आधार मानकर कोई कार्यवाही नहीं करे। लेकिन यह भी सही हैं कि इन निर्देशों की पालना नहीं हो रही हैं और गरीब एवं अनजान किसान लूटे जा रहे हैं। इस संबंध मंे पुनः फिल्ड अधिकारियों को निर्देश दिए जाएगे ताकि इन नक्शों के आधार पर जमीन की पेमाईश ना की जाए।
क्या कहते हैं विधि जानकार...
इस संबंध में विधि जानकारों से बात करने पर उन्होने बताया कि सेटेलाईट के जरिये जारी किए जा रहे जमीनों के नक्शे कानूनी रूप से वैध नहीं हैं। अदालत में किसी जमीनी दावे के प्रकरण मंे इस तरह के नक्शों को अदालत मान्यता नहीं देता हैं।
क्या कहते हैं पटवारी...
इस संबंध में नाम ना छापने की शर्त पर एक पटवारी ने बताया कि बाड़मेर शहर में जारी किए जा रहे सेटेलाईट नक्शे मान्य नहीं हैं। सिर्फ राजस्व विभाग तहसीलदार एवं पटवारी द्वारा जारी प्रमाणित नक्शे ही विधिमान्य हैं। इसके अलावा सेटेलाईट नक्शे किसी भी रूप से जमीनी हकदारी के लिए भी अधिकृत नहीं हैं। उन्होंने बताया कि बाड़मेर जिले में जो सेटेलाईट नक्शे जारी किए जा रहे हैं उसके लिए कोई व्यक्ति अधिकृत नहीं हैं।

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