बुधवार, 15 जून 2011

डेजर्ट नेशनल पार्क पर टेढ़ी नजर!

डेजर्ट नेशनल पार्क पर टेढ़ी नजर!
 

समूचे विश्व में दुर्लभ जैव विविधता के लिए पहचाने जाने वाले राष्ट्रीय मरू उद्यान के संरक्षित क्षेत्र घटाने के लिए भारतीय वन्य जीव संरक्षण बोर्ड के सदस्य एमके रंजीतसिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी 1980 में अधिसूचित क्षेत्रों में वन्य जीव संरक्षण अधिनियमों के आधार पर बनी उद्यान सीमाओं में संशोधन की संभावनाओं पर अपनी सर्वे रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजेगी।

मूलभूत सुविधाओं से वंचित गावों के विकास के लिए लम्बे समय से क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की ओर से संरक्षित क्षेत्रों में संशोधन की लम्बे अरसे से चल रही मांग के बाद राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है। क्षेत्र के जनप्रतिनधियों का कहना है कि वन्यजीव और जैव विविधता सीमित क्षेत्रों में है। नियमों की तलवार के चलते क्षेत्र में विकास कार्य ठप पड़े हैं। वहीं मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं को मंजूरी नहीं मिल पा रही है।

यह है डीएनपी में
जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध माने जाने वाले डीएनपी में सेवण घास, फोग, बेकर, करड़, सिणिया, डाब, टेकिया व धामण घास के अलावा खेजड़ी, रोहिड़ा, केर व आक सहित कई वनस्पतियां मौजूद हैं। जैसलमेर-बाड़मेर के तीन हजार एक सौ बासठ वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले उद्यान में पाए जाने वाले स्तनधारी वन्यजीवों में चिंकारा, भेडिया, मरू लोमड़ी, मरू बिल्ली और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड गोडावण पक्षी प्रमुख हैं। शीतकालीन प्रवास के दौरान सौ ज्यादा विदेशी पक्षियों का झुण्ड क्षेत्र में डेरा डालता है। 

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