सोमवार, 20 जून 2011

लोकपाल पर झुकी सरकार, पीएम को दायरे में रखने पर राजी!



नई दिल्‍ली.  केंद्र सरकार प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखने पर राजी हो गई है। हालांकि उसकी कुछ शर्तें भी हैं। एक शर्त यह है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत ली तो जाएगी, पर उसकी जांच या उस पर कार्रवाई तभी होगी जब व्‍यक्ति प्रधानमंत्री  की कुर्सी छोड़ चुका होगा।
समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन ने सरकार के मसौदे के आधार पर यह दावा किया है। चैनल का दावा है कि सरकार ने अपनी तरफ से लोकपाल बिल का जो अंतिम मसौदा बनाया है, वह उसके हाथ  लग गया है।
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री से राय करके ही मसौदे में यह बात शामिल की गई है। इस मसौदे पर जुलाई में सर्वदलीय बैठक में चर्चा होगी।
उधर, सोमवार को लोकपाल बिल बनाने के लिए गठित साझा ड्राफ्टिंग कमिटी की बैठक हुई। इसमें शामिल सरकार और सिविल सोसाइटी के नुमाइंदों के बीच 'अच्‍छे माहौल में' चर्चा हुई। पर बैठक के बाद भी जहां एक ओर कुछ मुद्दों पर पहले से ही मौजूद असहमति बरकरार है वहीं दो नए मुद्दों पर असहमति उभर कर सामने आई।
हालांकि इस बैठक के बाद आज दोनों पक्षों का रुख नरम रहा और वे एक-दूसरे पर हमलावर तेवरों के साथ मीडिया से नहीं मिले। टीम अन्‍ना की ओर से प्रशांत भूषण ने बताया कि बैठक का माहौल अच्‍छा था। कई मुद्दों पर सहमति बनी, लेकिन दो नए मामलों पर मतभेद भी उभर गए।
ड्राफ्टिंग कमिटी में शामिल सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि प्रशांत भूषण ने कहा कि लोकपाल को गठित करने वाली चयन समिति में कौन लोग शामिल होंगे, इस पर असहमति उभरकर सामने आई है। भूषण ने कहा कि ड्राफ्टिंग कमिटी में शामिल केंद्र सरकार के नुमाइंदे चयन समिति में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करना चाहते हैं। जबकि सिविल सोसाइटी के सदस्य स्वतंत्र लोगों को इस समिति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
इसके अलावा लोकपाल समिति को हटाने के लिए अपील के अधिकार को लेकर भी मतभेद सामने आया है। सरकारी प्रतिनिधि चाहते हैं कि लोकपाल समिति को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील का हक केंद्र सरकार के पास रहे। लेकिन सिविल सोसाइटी के सदस्यों का कहना है कि लोकपाल समिति को हटाने के लिए अपील का हक सबको होना चाहिए। 
ड्राफ्टिंग कमिटी में शामिल सिविल सोसाइटी के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘हमने लोकपाल बिल को लेकर सरकार को 40 बिंदू दिए थे। सरकार का कहना है कि इनमें से 11 पर सहमति बन गई है।’    

वहीं, दूसरी ओर ड्राफ्टिंग समिति में शामिल सरकारी प्रतिनिधियों की तरफ से मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने बातचीत को संतोषजनक बताया। कपिल सिब्बल ने बैठक के बाद कहा है कि कई मुद्दों पर समिति में शामिल सरकार और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों के बीच सहमति बनी है, लेकिन कुछ मुद्दों पर अब भी असहमति बनी हुई है। उनका कहना है कि जिन मु्द्दों पर पहले से टकराव था, उन पर अब भी कोई सहमति नहीं बन पाई है। सिब्बल ने यह भी कहा कि मंगलवार को शाम साढ़े चार बजे ड्राफ्टिंग कमिटी की बैठक में सरकार के प्रतिनिधि और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि एक-दूसरे को अपना-अपना ड्राफ्ट सौंपेंगे। सिब्बल ने यह जानकारी भी दी कि जुलाई में राजनीतिक दलों को लोकपाल बिल का ड्राफ्ट सौंपा जाएगा और उनकी प्रतिक्रिया ली जाएगी। जिसके बाद इसे कैबिनेट में ले जाया जाएगा और फिर संसद में इसे पेश किया जाएगा।

बैठक शुरू होने से पहले सिविल सोसाइटी के सदस्‍य जस्टिस संतोष हेगड़े ने सरकार पर बिल को पास करने में देरी करने का आरोप लगाया। एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्‍होंने कहा कि कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर दोनों पक्ष आमने-सामने बात नहीं करना चाहते। जस्टिस हेगड़े ने आज की बैठक में हिस्‍सा नहीं लिया। हालांकि, उन्‍होंने अन्‍ना के अनशन से दूरी बनाने की खबरों का भी खंडन किया है।

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