मंगलवार, 21 जून 2011

'लाश' को जिन्दा देख आंखें फटी की फटी रह गईं!

गोरखपुर। शिखा दूबे मर चुकी थी। उसकी लाश झाड़ियों से मिलने के बाद परिवार ने मातम मना लिया था। उसका दाह संस्कार हो चुका था। अब तलाश थी तो सिर्फ उसके कातिल की। शक उसके प्रेमी दीपू यादव पर था। परिवार द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर के आधार पर पुलिस जांच में जुटी थी। इस जांच में जो खुलासा हुआ, उसे सुनने और देखने के बाद लोगों की आंखें फटी की फटी रह गईं। सभी अचंभित थे। सोच में पड़ गए कि भला ऐसा भी कहीं होता है।
दरअसल जांच करती हुई पुलिस दीपू यादव तक पहुंची तो वहां शिखा को देख अचंभित रह गई। जिस शिखा का अंतिम संस्कार हो गया था, वह सामने जिन्दा खड़ी थी। पुलिस के दबाव डालने पर सच धीरे-धीरे सामने आने लगा। पर बहुत डरावना था।
दीपू यादव के मुताबिक, वह शिखा से बहुत प्यार करता है। दोनों शादी करना चाहते थे। समाज के डर से हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। एक दिन शिखा के दिमाग एक प्लान आया। उसने दीपू को बताया। फिर क्या था दोनों प्लान को अंजाम देने में जुट गए। दीपू ने पांच हजार में एक कॉलगर्ल को अपने जाल में फंसाया। उसकी कद-काठी बिल्कुल शिखा से मिलती जुलती थी।
कॉलगर्ल पूजा को लेकर दीपू गोरखपुर आया। दोनों कुसम्ही जंगल में गए। वहां पहले से ही शिखा और एक एक लड़का इनका इंतजार कर रहे थे। तीनों ने मिलकर पूजा का गला दबाकर हत्या कर दी। उसको शिखा के कपड़े पहनाकर पास की झाड़ियों में फेंक दिय़ा। इस तरह से शिखा को मरा हुआ साबित करने की नाकाम कोशिश की गई।
झाड़ियों में पड़ी लाश पुलिस को मिली। परिवार को विश्वास हो गया कि यही शिखा है। इस तरह से एक लड़की ने अपनी मौत की खुद ही साजिशकर्ता थी।
गोरखपुर रेंज के डीआईजी मुकेश बाबु शुक्ला के मुताबिक, इन दोनों ने 19 अप्रैल को ही कुसम्ही जंगल के बुढिया माई स्थान पर शादी कर लिया था। गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान दोनों का प्यार परवान चढ़ा था।

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