शनिवार, 25 जून 2011

पाकिस्तान के लोकप्रिय लोक एवं सूफी गायक सफी मोहम्मद फकीर

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लोक एवं सूफी गायक सफी मोहम्मद फकीर 




































पाकिस्तान के लोकप्रिय लोक एवं सूफी गायक सफी मोहम्मद फकीर मूलतः बाड़मेर जिले के निवासी हैं। 1965 में फकीर का परिवार भारत से पाकिस्तान के सिन्ध चला गया था। फकीर के पिता क्षेत्र के जाने-माने लोक गायक थे। थार के लोक गीत और संगीत का परचम उन्होंने पाक में भी लहराया। अपने पिता से विरासत में मिले लोक गीत-संगीत के खजाने को फकीर ने संजीदगी से अपनाया। लोक गीतों को में फकीर नायाब शैली में गाते हैं। सफी फकीर का सुफियाना अन्दाज पाक में बेहद लोकप्रिय हुआ। गायकी के निराले अन्दाज के कारण सफी फकीर को जल्दी ही अन्तरराष्‍ट्रीय मंच मिल गया। 

अन्तरराष्टीय मंचों पर सफी फकीर ने धूम मचा दी। सफी फकीर के लोक गीत तो रसभरे और सुरीले होते ही हैं, भक्ति गायकी में भी उनका जवाब नहीं हैं। सुफियाना अन्दाज में जब फकीर अमीर खुसरो, बाबा बुल्ले शाह, माधो शाह हुसैन, सुल्तान बाहु, ख्वाजा गुलाम फरीद की रचनाएं गाते हैं, तब श्रोता दीवाने हो जाते हैं। फकीर अनेक भषाओं सिन्धी, मारवाड़ी, सिरैकी, पंजाबी, उर्दू और पूर्वी में जब अपने अलग अन्दाज में गाते हैं, तो श्रोता उनकी गायकी के रस में डूब जाते हैं।
1961 में थार क्षेत्र के बाड़मेर जिले में जन्मे सफी फकीर ने अपने पिता से परम्परागत मांगणियार लोक गायकी और कमायचा वादन सीखा। बाद में उन्होने सारंगी वादक उस्ताद मजीद खान, जो उस वक्त पाक रेडियो के मशहूर गायक और सारंगी वादक थे, से लोक गीत-संगीत की बारीकियां सीखीं और सारंगी वादन में निपुणता हासिल की। वहीं सुफी गायकी की बारीकियां उन्होंने शाम चौरासी घराना के उस्ताद सलामत अली खान साहब से सीखीं।

सफी मीरा, कबीर, तुलसीदास, अब्दुल लतीफ भिटाई, सचल सरमस्त, बाबा बुल्‍ले शाह की भक्ति रचनाओं को बेहद संजीदगी से गाते हैं। सफी मांगणियार बच्चों को लोक गीत-संगीत का प्रशिक्षण देकर परम्परागत लोक गीत-संगीत की परम्‍परा को आगे बढ़ा रहे हैं। फकीर भारत में कई मर्तबा अपने कार्यक्रमों के माध्यम से सुफी और भक्ति गायकी के स्वर बिखेर चुके हैं।

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