शनिवार, 11 जून 2011

बाप-बेटे को एक ही विवाह मंडप में शादी रचाने का मामला अपने आप में अनूठा


बाप-बेटे को एक ही विवाह मंडप में शादी रचाने का मामला अपने आप में अनूठा 
लोहरदगा। बेटे की शादी में बाप बाराती बनकर शामिल होता है, परंतु बाप-बेटे को एक ही विवाह मंडप में शादी रचाने का मामला अपने आप में अनूठा है। उरांव विकास समिति आराहांसा की ओर से गुरुवार को आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में एक ही विवाह मंडप में बाप और बेटे ने अपनी शादी रचाई। 

आराहांसा का 55 वर्षीय मंगरा उरांव व उसके 26 वर्षीय पुत्र राजेश उरांव ने एक साथ सारे रस्मों को निभाते हुए अपनी-अपनी वधुओं के साथ विवाह किया। मंगरा उरांव 1983 से बगैर शादी के गुमला की 53 वर्षीय बसंती लोहरा के साथ रह रहा था। 

इस दौरान दोनों चार संतानों के माता-पिता भी बने। वहीं उसका बेटा राजेश अंबुआ गुमला के नीलमनी महली के साथ पिछले आठ वर्षों लीव इन रिलेशनशिप में था। इन दोनों के भी तीन बच्चे हैं। विवाह करने पहुंची बसंती व नीलमनी दुल्हन के पारंपरिक परिधान में थी, तो मंगरा और राजेश भी धोती और पगड़ी के साथ दूल्हे के वेश में थे। 

भले ही बसंती के चेहरे पर पड़ी झुर्रियां व उभरी नसें बढ़ती उम्र के प्रमाण थे, परंतु दुल्हन बनने की खुशी चेहरे पर साफ झलक रही थी। बसंती ने बताया कि वह इस पल का 28 वर्षों से इंतजार कर रही थी, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण सामाजिक रीति-रिवाज से विवाह नहीं हो पा रहा था। मंगरा ने बताया कि वह गुवाहाटी की बसंती से मिला था। दोनों में प्रेम हुआ और तब से साथ रहने लगे। पति-पत्नी के रूप में रहने के बावजूद अभी तक सामाजिक मान्यता नहीं मिल सकी थी। 

राजेश भी आठ वर्ष पूर्व जौनपुर में नीलमनी से मिला था। वहीं से दोनों ने साथ रहना शुरू किया। दोनों विवाह सूत्र में बंधकर काफी खुश दिख रहे थे। वहीं इनका छह वर्षीय पुत्र राजकुमार उरांव, चार वर्षीय पुत्री कुमारी भी बाराती बनकर थिरक रहे थे।

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