रविवार, 30 जनवरी 2011

बेबस डायल 100 मेरी शादी कराओ



बेबस डायल 100
मेरी शादी कराओ
. बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिला मुख्यालय स्थान पुलिस कन्ट्रोल रूम समय रात सो बारह बजे, कन्ट्रोल रूम स्थ्ति टेलिफोन की धण्टी बजती हैं। कन्ट्रोलर हैलो पुलिस कन्ट्रोल रूम, सामने से आवाज आती है एक औरत की आपके साथ कौन है,जी मेरे अधिकारी, कन्ट्रोलर जवाब देता हें,औरत बोलती हैं कि आपकी औरत तो पास में नही हैं,आप मुझसे दोस्ती करोगे।मरी सगाई हो रखी हैं,धर वाले शादी नही कर रहे।आप मेरी शादी कराओ।नही तो आप ही आ जाओ। कन्ट्रोलर जवाब दे उससे पहले फोन कट जाता हैं।
मुल्क भर में किसी भी अप्रिय घटना की जानकारी कर लिए आपातकालीन डायल 100 की सुविधा  आम आवम को मुहेया करवाई गई हें लेकिन अब ये सुविधा पुलिस के लिए ही दुविधा बन रही हें . राजस्थान पुलिस ईन दिनों डायल 100 पर आने वाले फोन के आगे बेबस नजर आ रही हें . एक तरफ जहा ईन नम्बरों पर राहत के लिए आने वाले फोन काल की तादात बेहद कम हें हें वही अशलील बाते और धमकिय देने वालो की तादात बेहद ज्यादा बढ़ गई हें . 

भारत और पाकिस्तान की सीमा से सटा जिला बाड़मेर , सरहद पर बसे इस जिले में जहा सामरिक ठिकानो की भरमार हें वही किसी भी अप्रिय घटना से दो दो हाथ करने के लिए पुलिस को हर वक्त मुस्तेद रहना पड़ता हें लेकिन पुलिस का किसी भी घटना तक पहुचने का आधार ही ईन दिनों पुलिस के लिए सर दर्द बना हुआ हें . यह हें बाड़मेर का सबसे बड़ा पुलिस कंट्रोल रूम जहा पर हर दिन 2000-3000 फोन आते हें लेकिन ईन फ़ोनों के कारण यहा तेनात हर कोई बेबस हें . यहा किसी काम से आने वाले फोन की तादात बेहद कम हें जनकी ईन लोगो से अशलील बाते और धमकिया देने वाले लोगो की तादात बेहद  ज्यादा हें 

बीते कई दिनों से चल रहे इस सिलसिले से जहा कई पुलिस वाले कंट्रोल रूम से अपनी ड्युटी केंसिल करवा चुके हें और कई अपनी बेबसी पर आसू बहाने के आलावा कुछ भी नही कर पा रहे हें . यहा तेनात 55 साल के  के एक कानिस्टेबल के मुताबित यहा फोन पर मिल रही गलिया असहनीय हें . ईन के लिए जहा हर किसी का फोन उठाना जरूरी हें वही ईन फोन करने वालो की बात इनके लिए किसी सजा से कम नही हें . 

लीला धर ,पुलिस कानिस्टेबल बाड़मेर ने बताया कि यहा फोन पर मिल रही गलिया असहनीय हें . ईन के लिए जहा हर किसी का फोन उठाना जरूरी हें वही ईन फोन करने वालो की बात इनके लिए किसी सजा से कम नही हें .    

पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने बताया कि बाड़मेर पुलिस ने पिछले 2 सालो में हमने 500  से जायदा नम्बरों के खिलाफ क़ानूनी करवाई की गई है हम 10 फीसदी ही इन मामलो में करवाई कर पाते है क्योकि   हर दिन एसे फर्जी  कॉल सकडो की तादाद में आते है जिसके चलते हर एक के खिलफ करवाई करना संभव  नहीं होता है इस मामले में तो पुलिस खुद बेबस हो गयी है  ये समस्या राजस्थान के हर एक कंट्रोल रूम में है 

राजस्थान पुलिस  का अपना  नारा  हें अपराधियों में डर, आम जन में विश्वास लेकिन राजस्थान के डायल 100 के हालात देख कर लगता हें की यहा पुलिस के पास हें बेबसी और आम जन हें बिंदास




शनिवार, 29 जनवरी 2011

पाकिसतानी पशुओं से तारबन्दी की सुरक्षा को खतरा


पाकिसतानी पशुओं से तारबन्दी की सुरक्षा को खतरा
 पशुओं की आड में घुसपैठ की सम्भावना सें इन्कार नही

बाडमेर भारत पाकिस्तान के मध्य होने वाली फ्लैग मीटिंगों में सीमा सुरक्षा बल द्घारा पाकिस्तानी रेंजरों के सामनें बार बार पाकिस्तानी सरहअ पर आवारा पशुओं  के विचरण का विरोध करने के बावजूद पाकिस्तानी सरहद पर सेकउो की तादाद में आवारा  पशुओं विचरण कर भारतीय सरहद में धुस जाते हैं।पाकिस्तानी रेंजरों पर भारत कें सख्त ऐतराज के बावजूद आवारा पशुओं  को रोकने के किसी प्रकार के इन्तजाम नही किऐं ।वहीं पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी आई एस आई द्घारा पुशुओं की आड में घुसपैइ और तस्करी की सम्भावना सें इन्कार नही किया जा सकता। भारत पाकिस्तान सरहदी क्षैत्र केदौरे पर गयें संवाददाता नें पाकिस्तान की तरफ भारतीय तारबन्दी के पास पाकिस्तानी  पशुओं कों विचरण करते देख उन्हे कैमरें में कैद किया।भारत पाकिस्तान के मध्य सीमा सुरक्षा बल और पाक रेंजरों के मध्य नियमित रूप सें होने वाली फ्लैग मीटिंगों में सीमा सुरक्षा बल द्घारा पाकिस्तानी सीमा की और सें आवारा   पशुओंकें भारतीय सरहद में घुसनें का कई र्मतबा विरोध जताया गया।भारतीय विरोध के जवाब में पाकिस्तानी रेंजर अक्सर माफी मांग अगली बार गलती सुधारनें का वादा कर देते हैं।इसके बावजूद पाक रेंजर अपनी सरहद पर आवारा पुओं कों रोकने की बजाऐं भारतीय सीमा में खदेड देतें हैं।सीमा सुरक्षा बल के सूत्रों नें बताया कि पाक की ओर सें सैकडों की तादाद में आवारा  पशु तारबन्दी पार कर भारतीय सरहद में घुस जाती हैं।पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी आई एस आई द्घारा  पशुओं की आड में धुसपैठ सें इन्कार नही किया जा सकता वही बार बार पुओं कें तारबन्दी पार कर आनें से तारबन्दी को भी नुकसान पहुॅच रहा हैं।दन्होनें बताया कि सीमा सुरक्षा बल द्घारा मीटिंगों में कई बार विरोध दर्ज कराया गया।इसके बावजूद पाक सीमा सें पाक पशुओं  का आनें का क्रम थम नही रहा।इससें तारबन्दी की सुरक्षा कों खतरा होने के साथ ही धुसपैठ की सम्भावना भी रहती हैं।हालांकि सरहद पर सीमा सुरक्षा बल कें जवान मुश्तैदी सें सरहद की हिफाजत में चाक चौबन्द होकर चौकसी में जुटे हैं।फिर भी पाकिस्तान की इन हरकतों को नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता।


शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

बाड़मेर कलेक्टर गोयल को टीम लीडरशिप अवार्ड


बाड़मेर कलेक्टर गोयल को टीम लीडरशिप अवार्ड 

बाड़मेर  मनरेगा योजना में बेहतर प्रदर्शन पर कलेक्टर गौरव गोयल को टीम लीडरशिप के राष्ट्रीय अवार्ड से नवाजा जाएगा। केन्द्र सरकार की ओर से घोषित इस अवार्ड के लिए देश भर से दस जिला परियोजना समन्वयक व जिला कलेक्टरों का चयन किया गया है। गोयल को 2 फरवरी को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में पुरस्कृत किया जाएगा। केन्द्रीय दल की मनरेगा कार्यों के आकलन की रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर गौरव गोयल समेत दस कलेक्टरों को टीम लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित करने की घोषणा की गई है।

बाड़मेर कलेक्टर गोयल को टीम लीडरशिप अवार्ड


बाड़मेर कलेक्टर गोयल को टीम लीडरशिप अवार्ड 

बाड़मेर  मनरेगा योजना में बेहतर प्रदर्शन पर कलेक्टर गौरव गोयल को टीम लीडरशिप के राष्ट्रीय अवार्ड से नवाजा जाएगा। केन्द्र सरकार की ओर से घोषित इस अवार्ड के लिए देश भर से दस जिला परियोजना समन्वयक व जिला कलेक्टरों का चयन किया गया है। गोयल को 2 फरवरी को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में पुरस्कृत किया जाएगा। केन्द्रीय दल की मनरेगा कार्यों के आकलन की रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर गौरव गोयल समेत दस कलेक्टरों को टीम लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित करने की घोषणा की गई है।

बुधवार, 26 जनवरी 2011

Manoj Kumar

Jab Zero Diya Mere Bharat Ne Bharat Ne Mere Bharat Ne Duniya Ko Tab Ginti Aai Taaron Ki Bhasha Bharat Ne Duniya Ko Pehle Sikhlayi Deta Na Dashamlau Bharat To Yoon Chand Pe Jaana Mushkil Tha Dharti Aur Chand Ki Doori Ka Andaaza Lagana Mushkil Tha Sabhyta Jahan Pehle Aayi Pehle Janmi Hai Jahan Pe Kala Apna Bharat Woh Bharat Hai Jis Ke Peeche Sansar Chala Sansar Chala Aur Aage Badha Yoon Aage Badha Badhta Hi Gaya Bhagwan Kare Yeh Aur Badhe Badhta Hi Rahe Aur Phoole Phale

मानवता के लिए सर्वस्व न्योछावर करें'








मानवता के लिए सर्वस्व न्योछावर करें' 

बाड़मेर। आज राष्ट्र की विकट समस्याओं के समाधान के लिए क्षत्रिय चरित्र की महत्ती आवश्यकता है। अपने कर्तव्य के लिए मर मिटने का भाव, मानवता के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने की चेतना और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण यही स्व.तनसिंह के जीवन का मिशन था।  आज इसी की भारत को आवश्यकता है। यह बात तनसिंह जयंती समारोह को संबोघित करते हुए समारोह के मुख्य वक्ता एवं संघ प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर ने कही।
 रोलसाहबसर ने राष्ट्र हित में बिना जाति पंथ व भेद के राष्ट्र रक्षा के लिए क्षत्रिय बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि तनसिंह जैसे महापुरूष राष्ट्र की थाति है। यह मालाणी की धरती गौरवशाली है, जिस पर ऎसे महान पुरूष का जन्म हुआ। कार्यक्रम को संबोघित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक पुखराज गुप्ता ने कहा कि हमे गर्व है कि तनसिंह जैसे चिंतक, लेखक व मनीषी का इस धरती पर जन्म हुआ और उनका मार्गदर्शन मिला। एडवोकेट स्वरूपसिंह राठौड़ ने तनसिंह को आदर्श राजनेता बताते हुए उन्हें सादगी व आध्यात्मिकता की अद्भुत मिसाल बताया।
 कार्यक्रम को संबोघित करते हुए बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने कहा कि तनसिंह ने सामान्य परिस्थितियों से संघर्ष करके देश व समाज को राजनीति व चिंतन के माध्यम से अपूर्व योगदान दिया। बाड़मेर के पूर्व विधायक तगाराम चौधरी ने तनसिंह को बाड़मेर जिले का महान सपूत बताते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। शिव के पूर्व विधायक डा. जालमसिंह रावलोत ने तनसिंह और उनके दर्शन को राष्ट्रीय जरूरत बताते हुए युवा पीढ़ी से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। एडवोकेट रूपसिंह चौहटन ने तनसिंह के साथ अपने संस्मरण बताते हुए उन्हें सफल आंदोलनकर्ता व सफल नेता बताया।
केप्टन हीरसिंह भाटी ने कहा आज देश को बचाना है तो तनसिंह के बताए रास्ते पर चलना पड़ेगा। कार्यक्रम को अरूणा माडपुरा, राज्यलक्ष्मी लूणू ने भी संबोघित किया। इस अवसर पर मेघूदान चारण ने काव्यपाठ किया। वहीं कालूसिंह गंगासरा ने तनसिंह के सहगीत प्रस्तुत किए

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मेरे सभी ब्लॉगर मित्रो को शुभकामनाएं. ..





गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मेरे सभी ब्लॉगर मित्रो को शुभकामनाएं... मेरे देश मेंशांति रहे, पथभ्रष्ट युवा जो आतंक और अलगाव की राह पर निकले हैं, एक बार फिर मुख्य धारा में लौटें और... मुझे समझ नहीं आ रहा कि मेरी सोच की वजह से कैसे आज देश का हाल खराब हो गया है। .... और सच का साथ देने के लिए, अन्याय के विरोध में उठ खड़ा होने के लिए तैयार रहना

barmer news track: स्व.पु.श्री तनसिंह जी जयंती : एक अद्भभुत व्यक्तित्व का परिचय

barmer news track: स्व.पु.श्री तनसिंह जी जयंती : एक अद्भभुत व्यक्तित्व का परिचय

स्व.पु.श्री तनसिंह जी जयंती : एक अद्भभुत व्यक्तित्व का परिचय


1.   स्व.पु.श्री तनसिंह जी जयंती

: एक अद्भभुत व्यक्तित्व का परिचय
बाड़मेर
वि.सं.१९८० में बाड़मेर जिले के गांव रामदेरिया के ठाकुर बलवंत सिंह जी महेचा की धर्म पत्नी मोतिकंवरजी के गर्भ से तनसिंह जी का जन्म अपने मामा के घर बैरसियाला गांव में हुआ था वे अभी शैशवावस्था में अपने घर के आँगन में चलना ही सीख रहे थे कि उनके पिता मालाणी के ठाकुर बलवंत सिंघजी का निधन हो गया और चार वर्ष से भी कम आयु का बालक तनैराज अपने सिर पर सफ़ेद पाग बाँध कर ठाकुर तनैराज हो गया | मात्र ९०रु वार्षिक आय का ठाकुर | भाग्य ने उनको पैदा करके पालन-पोषण के लिए कठिनाईयों के हाथों सौप दिया |
घर की माली हालत ठीक होने के बावजूद भी श्री तनसिंह जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा बाड़मेर से पुरी कर सन १९४२ में चौपासनी स्कूल जोधपुर से अच्छे अंकों के साथ मेट्रिक परीक्षा पास कर सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी होने का गौरव प्राप्त किया,और उच्च शिक्षा के लिए पिलानी चले आए जहाँ उच्च शिक्षा ग्रहण करने बाद नागपुर से उन्होंने वकालत की परीक्षा पास कर सन १९४९ में बाड़मेर आकर वकालत का पेशा अपनाया,पर यह पेशा उन्हें रास नही आया | 25 वर्ष की आयु में बाड़मेर नगर वासियों ने उन्हें बाड़मेर नगर पालिका का अध्यक्ष चुन लिया और 1952 के विधानसभा चुनावों में वे पहली बार बाड़मेर से विधायक चुन कर राजस्थान विधानसभा पहुंचे और 1957 में दुबारा बाड़मेर से विधायक चुने गए | 1962 1977 में आप बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए | 1962 में तन सिंघजी ने दुनिया के सबसे बड़े और विशाल बाड़मेर जैसलमेर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव मात्र एक जीप,कुछ साथी,सहयोगी स्वयम सेवक,कार्यकर्त्ता,किंतु अपार जन समूह के प्यार और समर्थन से मात्र 9000 रु. खर्च कर सांसद बने |
1979
में मध्यावधि चुनावों का फॉर्म भरने से पूर्व अपनी माताश्री से आशीर्वाद लेते समय 7 दिसम्बर 1979 को श्री तनसिंह जी ने अपनी माता की गोद में ही अन्तिम साँस ली |
पिलानी के राजपूत छात्रावास में रहते हुए ही श्री तनसिंह जी ने अपने भविष्य के ताने-बाने बुने | यहीं उनका अजीबो-गरीब अनुभूतियों से साक्षात्कार हुआ और समाज की बिखरी हुयी ईंटों से एक भव्य-भवन बनाने का सपना देखा | केवल 22 वर्ष की आयु में ही उनके हृदय में समायी समाज के प्रति व्यथा पिघली जो " श्री क्षत्रिय युवक संघ" के रूप में निश्चित आकार धारण कर एक धारा के रूप में बह निकली |
लेकिन अन्य संस्थाओं की तरह फॉर्म भरना,सदस्यता लेना,फीस जमा करना,प्रस्ताव पारित करना,भाषण,चुनाव,नारेबाजी,सभाएं आदि करना श्री तन सिंह जी को निरर्थक लगी और 22 दिसम्बर 1946 को जयपुर के मलसीसर हाउस में नवीन कार्य प्रणाली के साथ "श्री क्षत्रिय युवक संघ " की विधिवत स्थापना की और उसी दिन से संघ में वर्तमान संस्कारमयी मनोवैज्ञानिक कार्य प्रणाली का सूत्रपात हुवा | इस प्रकार क्षत्रिय समाज को श्री तनसिंह जी की अमूल्य देन "श्री क्षत्रिय युवक संघ " अपनी नई प्रणाली लेकर अस्तित्व में आया |
राजनीती में रहकर भी उन्होंने राजनीती को कभी अपने ऊपर हावी नही होने दिया | क्षत्रिय युवक संघ के कार्यों में राजनीती भी उनकी सहायक ही बनी रही | सन 1955-56 में विवश होकर राजपूत समाज को राजस्थान में दो बड़े आन्दोलन करने पड़े जो भू-स्वामी आन्दोलन के नाम से विख्यात हुए,दोनों ही आन्दोलनों की पृष्ठभूमि में क्षत्रिय युवक संघ की ही महत्वपूर्ण भूमिका थी |
स्व.श्री तनसिंह जी की ख्याति एक समाज-संघठक,कर्मठ कार्यकर्त्ता,सुलझे हुए राजनीतीज्ञ,आद्यात्म प्रेमी,गंभीर विचारक और दृढ निश्चयी व्यक्ति के रूप में अधिक रही है किंतु इस प्रशिधि के अतिरिक्त उनके जीवन का एक पक्ष और भी है जिसे विस्मृत नही किया जा सकता | यह एक तथ्य है कि एक कुशल प्रशासक,पटु विधिविज्ञ,सजग पत्रकार और राजस्थानी तथा हिन्दी भाषा के उच्चकोटि के लेखक भी थे | पत्र लेखन में तो उनका कोई जबाब ही नही था अपने मित्रों,सहयोगियों,और सहकर्मियों को उन्होंने हजारों पत्र लिखे जिनमे देश,प्रान्त,समाज और राजपूत जाति के अतीत,वर्तमान और भविष्य का चित्र प्रस्तुत किया गया है | अनेक सामाजिक,राजनैतिक और व्यापारिक कार्यों की व्यस्तता के बावजूद उन्होंने साहित्य,संस्कृति और धार्मिक विषयों पर लिखने के समय निकला |
श्री क्षत्रिय युवक संघ के पथ पर चलने वालों पथिकों और आने वाली देश की नई पीढियों की प्रेरणा स्वरूप स्व.श्री तनसिंह जी एक प्रेरणादायक सबल साहित्य का सर्जन कर गए | उन्होंने अनेक पुस्तके लिखी जो जो पथ-प्रेरक के रूप में आज भी हमारा मार्ग दर्शन करने के लिए पर्याप्त है |
1-
राजस्थान रा पिछोला
2-
समाज चरित्र
3-
बदलते द्रश्य
4-
होनहार के खेल
5-
साधक की समस्याएं
6-
शिक्षक की समस्याएं
7-
जेल जीवन के संस्मरण
8-
लापरवाह के संस्मरण
9-
पंछी की राम कहानी
10-
एक भिखारी की आत्मकथा
11-
गीता और समाज सेवा
12-
साधना पथ
13-
झनकार( तनसिंहजी द्वारा रचित 166 गीतों का संग्रह)