सोमवार, 22 नवंबर 2010

रेगिस्तान के द्रोणाचार्य ने रचा इतिहास


रेगिस्तान के द्रोणाचार्य ने रचा इतिहास
बाड़मेर। बाड़मेर जिले की सीमा पर स्थित जैसलमेर के छोटे-से गांव सिहड़ार के रहने वाले भारतीय सेना के सुबेदार मेजर रिड़मलसिंह भाटी ने देश को एक साथ दो-दो पी टी उषा देकर इतिहास रच दिया है। भारत की राष्ट्रीय एथलीट टीम में लम्बी दौड़ स्पर्द्धा के कोच भाटी की शिष्य प्रीजा श्रीधरन व कविता राउत ने दस हजार मीटर दौड़ में रविवार को ग्वांगझू एशियाड में क्रमश: स्वर्ण व रजत मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया।
रेगिस्तान के द्रोणाचार्य रिड़मलसिंह भाटी की सफलता की यात्रा उपलब्घियों भरी है, जो ग्वांगझू एशियाड तक पहुंचते-पहुंचते स्वर्णिम व ऎतिहासिक हो गई है। भाटी के शिष्यों ने पिछले चार वर्ष मे एशिया स्तर पर 87 मेडल एवं हाल ही में दिल्ली में सम्पन्न हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में एक मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है। एक खिलाड़ी के रूप में ट्रेक को अलविदा कहने के बाद 2006 में वे राष्ट्रीय एथलेटिक्स टीम के कोच बने और प्रतिभाओं को निखारने में जुट गए। प्रीजा ने रविवार को ग्वांगझू में गोल्ड मेडल जीतकर भाटी को स्वर्णिम गुरूदक्षिणा दी।
अगला लक्ष्य ओलम्पिक मेडल
पूरे देश के लिए गौरव की बात है कि प्रीजा व कविता ने एशियाड में मेडल जीते हैं। इन तीनों का कोच होने के नाते मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है, लेकिन हमारा लक्ष्य ओलम्पिक में देश के लिए मेडल जीतना है। -सुबेदार मेजर रिड़मलसिंह भाटी

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